रविवार, 8 अगस्त 2021

असली बारहमासा

 वन बाग़ खेत मेढ़ चारों और हरियाली,

उदभिज गगन अमिय झलकावे है !

पिहुँ पिहुँ बोले पापी पेड़ों पै पपीहरा,

चिर  बिरहन तन  मन  हुलसावै है !!

जलधि मिलन चली इठलाती सरिताएँ,

गजगामनि  मानों पिया घर जावे है !

झूम झूम बरसें सावन सरस घन ,

झूलने पै गोरी मेघ मल्हार गावे है !!

श्रीराम तिवारी 

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