बुधवार, 25 अगस्त 2021

बेरोजगारों की भीड़ बढ़ाने का मतलब हिंदुत्व नही है!

 "अयं निज: परोवेति गणना लघुचेतसाम्! उदार चरितानाम् तु वसुधैव कुटुम्कम्!!

अथवा
सर्वे भवंतु सुखिन: सर्वे संतु निरामया!
सर्वे भद्राणि पश्यंतु मा कश्चिद दुखभाग्वेत!!
* * *
ये भारतीय सनातन परंपरा के प्रमुख सिद्धांत हैं,यही असली हिंदुत्व है!राजनीतिके माध्यम से सत्ता पर अपराधियों की पकड़, नेताओं की लफ्फाजी,राष्ट्रीय संपत्ति अमीरों को देना, मुख्यमंत्रियों के घरों में नोट गिनने की मशीनों का होना,घटिया सड़कें बनवाना और घटिया पुल बनवाना,मार्केट में जनता को मिलावटी खाद्यान्न बेचा जाना,इनकमटैक्स,सैल्सटैक्स, लोक निर्माण विभाग और आबकारी विभाग को रिस्वत की खुली छूट देकर रिस्वतखोरों से पैसा लेकर,उनके ट्रांसफर पोस्टिंग करना, भ्रस्टाचार पर मौन रहना और बेरोजगारों की भीड़ बढ़ाना,इन सबका मतलब हिंदुत्व नही है!
असली हिंदुत्व वह है जो * प्रस्थान त्रयी* में उल्लेखित है! बाकी सब पूंजीवाद और भेड़िया धसान धनतंत्र है!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें