मंगलवार, 31 अगस्त 2021

फाकें में साथ देनें कोई नही आ्येगा .

 हंसोगे अगर तो साथ हंसेगी दुनिया

रोओगे तो रहोगे निपट अकेले यार !
खुशी है ऐसी शै जो हम ढूंढते हैं बाहर ,
और गमों के भर रखें हैं भीतर भण्डार।
ठहाका लगाओ तो आसमां गूँज उठेगा ,
आह भरो तो पाओगे हर शख्स मौन है !
हर्ष उल्लासों की प्रतिध्वनियां मन पसंद,
मौन-मंद सिसकी तुम्हारी सुनता कौन है ?
खुशियां अगर बांटो तो लोग आएंगे तेरे दर,
दिखाओगे अपने गम, तो सब भाग जायेंगे !
हिस्सा आपके सुख में सभी बंटाना चाहेंगे ,
चाहते हुये भी दूसरे दु:ख नहीं बांट पायेंगे !
सुख में तो सारे होते ही हैं मीत जहाँ में ,
दुःख में कोई एक तुम ढूँडते रह जाओगे !
मौज-मजे में तुम्हारी बनते रहेंगे मीत सब,
गर्दिश में व्यंग्य वाणों से बच नहीं पाओगे !
यदि तुम कभी दावत दोगे तो भीड़ जुटेगी,
किंतु फाकें में साथ देनें कोई नही आ्येगा !
ज़िन्दगी में सब साथ देंगे,अगर सफल रहो,
मरते हुये किसी के कोई काम नहीं आयेगा !
श्रीराम तिवारी

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