पर उपदेश कुशल बहुतेरे हैं राजनीति में,
कोरे भाषणों नारों से न होगा उद्धार मंगलम्।
कब तक उपदेश सुनेगी बदहाल जनता,
छद्म विकास के भाषण धुआँधार मंगलम् !!
बढ़ रही भूँख-व्यभिचारी धनिकों अफसरों की
उफान पर है मेंहगाई-कालाबाजार मंगलम् !
मई 2014 से पहले भी थे ये सब अनाचार,
लेकिन अब सिस्टम ज्यादा खूंखार मंगलम्!!
रिश्वत रूपी घुन ने धुनक डाला यह लोकतंत्र,
खाद्दयान में घुस गया सट्टा-बाजार मंगलम् !
ऍफ़डीआई की छूट है देशी विदेशी सेठों को,
पूंजीवादी दल्लोंको चंदेका आधारमंगलम्।।
जमाखोरों मिलावटियों को है पूरी आजादी,
निजीकरण की नीति है नई बदकार मंगलम् !
जगह -जगह छेद हैं इस लेकतांत्रिक नाव में,
व्यवस्थापिका रोती रहती जार जार मंगलम्!!
आयात खर्च बढ़ गया डालर मंहगा हो रहा,
घरेलू उत्पादन हुआ चौपट बंटाढार मंगलम्!
पर उपदेश कुशल बहुतेरे हैं राजनीति में,
कोरे भाषणों नारों से न होगा उद्धार मंगलम्!!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें