निया के जिस किसी देश में वे बहुसंख्यक हैं,वहाँ उन्हें शरियत कानून नही चाहिए और जहां वे अल्पसंख्यक हैं ,वहाँ उन्हें शरियत कानून चाहिये,यदि सरकार नही माने तो दंगा फसाद की आजादी चाहिये! यदि फ्रांस में कोई कार्टून छपता है,तो इन्हें भारत में हिंसक तांडव और तोड़ फोड़ का अधिकार चाहिए! इनमें से कुछ कुटिल तत्व भारत के शुद्ध अहिंसावादी समाज की बहु बेटियोंको प्रेम जालमें फांसने के लिये खुली छूट चाहते हैं!
यदि यही हरकत वे उन देशों में करें, जहाँ इनका बहुमत है,तो वहाँ संगसार कर दिये जायेंगे या तालिबानों की भांति अपनी ही कौम की बहु बेटियों का जीना दूभर करते रहेंगे! भारत में इन्हें लोकतंत्र धर्मनिर्पेक्षता बड़ी प्यारी है!जबकि सीरिया,ईराक,यमन, पाकिस्तान में शरीया कानून लागू हो न हो किंतु अल्पसंख्यक के नाम पर भारत में इन्हें विशेषाधिकार चाहिए। जबकि मुस्लिम बहुल देशों से लेकर मुस्लिम बहुल मुहल्लों तक में किसी सात्विक हिंदू जैन,बौद्ध का सांस लेना मुश्किल हो रहा है
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