भगतसिंह आजाद पुकारे,
जागो-जागो वीरो जागो।
आजादी है ध्येय हमारा ,
पीठ दिखाकर न तुम भागो।।
बांधो कफ़न शीश पर साथी,
रिपु रण में होगी आसानी।
स्वतन्त्रता की बलिवेदी पर ,
हंसते हंसते दो कुर्बानी।।
पुरुष सिंह थे वे हुतात्मा,
जिनने मर मिटने की ठानी।
आओ शीश नवाएं उनको ,
जो थे क्रांति वीर बलिदानी।।
जय हिंद
इंक्लाब जिंदाबाद
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें