भारत की जनता ने - पाकिस्तान के शासकों का या वहॉं की आदमखोर सेनाओं का -कभी भी भरोसा नहीं किया। वेशक पाकिस्तान में अमनपरस्त जनता का एक बहुत बड़ा हिस्सा है जो एक ओर तो उधर पाकिस्तान में गुलामी की जिंदगी जीते हुए भी शोषण-उत्पीड़न के खिलाफ संघर्ष कर रहा है ,दूसरी ओर यही संजीदा समाज पाकिस्तान में लोकतंत्र के अक्स को शिद्दत से पाल- पोश रहा है।पाकिस्तानी हुक्मरानो पर अमेरिका का वरद हस्त होने और उसी के इशारे पर ही पाकिस्तान में वर्ग संघर्ष की नाल का मुँह भारतीय सीमाओं की ओर कर दिया जाता रहा है। अब जबकि भारतीय नेताओं ने अमेरिका के सामने लगभग साष्टांग दंडवत ही कर दिया है तब पाकिस्तानी फोजोँ का भौंकना एक अनबूझ पहेली है। पाकिस्तान के अधिकांस- उद्यमी, शिक्षाविद और संगठित क्षेत्र के मजदूर-किसान नहीं चाहते कि भारत की जनता से निरंतर रार ठानी जाए। पाकिस्तान के शासकों-सेनाओं और कठमुल्लों की फितरत को वे भी समझते हैं और जो नहीं समझते उन्हें भी समझाया जा सकता है ,जो पाकिस्तानी नराधम अकारण भारत पर भौंकते रहते हैं। वे क्रूर काल के हाथों जमीदोज किये जाते रहे हैं। पूर्ववर्ती सरकारों के दौर में तो पाकिस्तान ने अमेरिकी -ऍफ़-१६ विमानों से भारतीय क्षेत्रों में अंदर तक घुसकर बमवर्षा भी की है। अमेरिका का वीटो पावर हमेशा पाकिस्तान के पक्ष में और भारत के खिलाफ ही इस्तेमाल किया जाता रहा है। तब भी भारतीय सेनाओं के द्वारा -पाकिस्तान के हमलों का करारा जबाब ही दिया जाता रहा है। दनिया जानती है की भारत की फौजें ही थीं जिसने पाकिस्तान की दरिंदा फौज के हथियार डलवाये थे। दुनिया जानती है कि पाकिस्तान का गरूर तोड़ने वाली भारतीय सेना की ताकत क्या है ? भारतीय फौज की ताकत पर ही तो पाकिस्तान के दो टुकड़े किये गए हैं। बाॅग्ला देश बनाया गया है किन्तु इसके लिए इंदिरा जी ने वैसी वयानबाजी नहीं की जैसी इन दिनों भारतीय नेता और मंत्री किये जा रहे हैं। क्या यह उचित है कि भारतीय शासक वर्ग याने सत्तारूढ़ नेतत्व वजाय कुछ ठोस उपाय करने के -केवल कोरी लफ्फाजी में ही इस विकट संकट की अनदेखी करता रहे ?
जब जेटली जी ,मोदी जी या राजनाथ जी बोलते हैं तो आशंका होती है कि कहीं ये अनाड़ी नेता भारत को युद्ध की आग में झोंकने को आमादा तो नहीं हैं ? ये नेता कह रहे हैं कि 'पाक को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी ' इससे क्या तात्पर्य है ? पाकिस्तान की ऐयाश फौजो में इतना दम नहीं कि वे भारत का मुकाबला कर सकें। किन्तु अमेरिका के हथियार जो फ़्री -फ़ोकट में पाकिस्तान को मिल रहे हैं या सऊदी अरब और दुबई से जो आर्थिक मदद उसे मिल रही है उसका कूटनीतिक तोड़ इन भारतीय नेताओं के पास है क्या ? पाकिस्तान को किसी चीज की कीमत नहीं चुकानी है।वह तो आतंकवाद ,ड्रग माफिया और नकली करेंसी का जाल भारत में फैलाकर -कश्मीर राग छेडकर यूएनओ की नींद हराम कर रहा है। भारत से उलझने में उसे जो भी नुक्सान होगा उसकी भरपाई अमेरिका या चीन करने को उधार बैठे हैं। भारत तो एक जिम्मेदार और अमनपसंद देश है।अपनी गरीबी और ख़राब आर्थिक स्थति का ढिंढोरा अमेरिका और जापान में पीटने के बाद भारत के नेताओं को ये कहने की हिम्मत भिो नहीं बची की कह सकें है कि हम आज इतने सक्षम हैं की पाकिस्तान के चार और टुकड़े कर सकते हैं।
दुनिया को मालूम है कि भारत को इतना ताकतवर बनाने में ५० साल लगे हैं। ५० साल अवश्य लगे हैं। किन्तु इतने वरस देश पर जिन्होंने राज किया वे नेता तो मोदी जी की नजर में नितात्न्त मक्कार और नकारा थे ! जिस पार्टी ने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए उस कांग्रेस से देश को मुक्त करने की बात की जाती है। जिस नेता ने अमेरिका और पाकिस्तान दोनों को पछाड़ा उस नेता का नाम अटलजी ने भले ही 'दुर्गा' रखा हो किन्तु आज के भाजपाई नेता सत्ता मद में चूर होकर - भारतीय इत्तिहास सेउसका नाम मिटाने और कांग्रेस मुक्त भारत का नारा लगाने में कुछ भी शर्म महसूस नहीं करते। भाजपा नेताओं ने-मोदी सरकार ने -कांग्रेस की ही पूँजीवाद परस्त नीतियों पर अपनी दक्षिणपंथी साम्प्रदायिक सोच का मुलम्मा भर चढ़ाया है। पूंजीवादी आर्थिक नीतियों को और ज्यादा आगे बढ़ाते हुए वर्तमान भाजपा नेता कांग्रेस के कुशासन से सिर्फ एक चीज में आगे हैं कि ये ढपोरशंखी हैं। जबकि वे मौन रहकर भी न केवल अपने देश की बल्कि पाकिस्तान की भी बारह बजाते रहे हैं।
श्रीराम तिवारी
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