मंगलवार, 28 अक्तूबर 2014

उन कालेधन वालों को संरक्षण नहीं फांसी होनी चाहिए !




       नंगे -  भूँखों  को  ब्रह्म  ज्ञान नहीं , राशन -पानी  चाहिये।

       मुर्दों  को  बैंक का  खाता  नहीं, बदन पर कफ़न  चाहिए।।

      स्वच्छता सदाचार सुशासन पर राजनैतिक  लफ्फाजी नहीं ,

      हरएक को बाजिब  शिक्षा और हर हाथ को काम होना चाहिए।

       प्रजातंत्र में दलगत जुबानी जंग कोई बुरी बात नहीं  है ,

       वशर्ते  !  देश की अखंडता पर आंच नहीं आनी  चाहिए।।

      संभव नहीं की हर किसी के मन की मुराद पूरी हो जाए ,

     किन्तु न्यूनतम संसाधनों  की पूर्ती तो होना ही  चाहिए।

      इतना तो  वह सब इस  देश में  अवश्य  ही  उपलब्ध है ,

    जितना  उसके वाशिंदों  को जिन्दा रहने के लिए चाहिए।।

     मुनाफाखोरी ,शोषण ,उत्पीड़न और  बेकारी  का निजाम ,

     मीडिया के मार्फ़त  महिमा मंडित नहीं किया जाना चाहिए।

     पूंजीपवादी  सत्ता परिवर्तन  से  जिनका  होता रहा  विकाश  ,

    उन  कालेधन वालों को संरक्षण नहीं फांसी  होनी चाहिए।।

                    श्रीराम तिवारी

    


   

    

      

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें