नंगे - भूँखों को ब्रह्म ज्ञान नहीं , राशन -पानी चाहिये।
मुर्दों को बैंक का खाता नहीं, बदन पर कफ़न चाहिए।।
स्वच्छता सदाचार सुशासन पर राजनैतिक लफ्फाजी नहीं ,
हरएक को बाजिब शिक्षा और हर हाथ को काम होना चाहिए।
प्रजातंत्र में दलगत जुबानी जंग कोई बुरी बात नहीं है ,
वशर्ते ! देश की अखंडता पर आंच नहीं आनी चाहिए।।
संभव नहीं की हर किसी के मन की मुराद पूरी हो जाए ,
किन्तु न्यूनतम संसाधनों की पूर्ती तो होना ही चाहिए।
इतना तो वह सब इस देश में अवश्य ही उपलब्ध है ,
जितना उसके वाशिंदों को जिन्दा रहने के लिए चाहिए।।
मुनाफाखोरी ,शोषण ,उत्पीड़न और बेकारी का निजाम ,
मीडिया के मार्फ़त महिमा मंडित नहीं किया जाना चाहिए।
पूंजीपवादी सत्ता परिवर्तन से जिनका होता रहा विकाश ,
उन कालेधन वालों को संरक्षण नहीं फांसी होनी चाहिए।।
श्रीराम तिवारी
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