बुधवार, 8 अक्तूबर 2014

और कोई विकल्प नहीं आसान।

       गणतंत्र हुआ धनतंत्र -महान।

      धर्मनिरपेक्षता हुई कुर्बान। । 
   
      मुफ्त में  क्या कोई किसी को,

      यूँ ही चढ़ा देगा  परवान।

      विदेशी पूँजी या भीख से ,

        नहीं बनेगा   भारत महान।। 

       सीमाओं पर अशांति निरंतर,

       सागर में नित नए  तूफ़ान।

       नेताओं के सैर  सपाटे ,

      अमेरिका दक्षेश जापान।।

      महँगाई  कालाबाजारी ,

     रिश्वत का   नहीं कोई  निदान।

    अमीर  ज्यादा  हुआ अमीर  ,

    असुरक्षित हैं मजदूर किसान।।

    वापिस लाएंगे  काला धन ,

   चुनावों में  किया था  बखान।। 

   अब पानी पी-पी कर कर रहे ,

   नेता पी पी पी का गुणगान।

   बिक  रहे जल-जंगल -जमीन ,

    फलता फूलता माफिया  महान । ।

     एकजुट संघर्ष के सिवाय अब,

    और कोई विकल्प नहीं आसान।

  गणतंत्र हुआ  धनतंत्र -महान।

   

      श्रीराम तिवारी 

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