बुधवार, 29 अक्टूबर 2014

अबहूँ नाव मझधार में ,न जाने क्या होय।।



      महाराष्ट्र विधान सभा चुनावों के दरम्यान शिवसेना के नेता उद्धव ठाकरे और मनसे नेता राज ठाकरे की सिंह गर्जना से समूची  भाजपा   सहमी हुई थी।'सामना' ने मोदी को जितना अपमानित किया उतना तो किसी ओवेसी या पाकिस्तानी ने नहीं किया।  जब महाराष्ट्र की जनता ने ठाकरे बंधुओं को  उनकी औकात  दिखाई  और  मोदी जी ने भी अपने चहेते देवेन्द्र फड़नवीस को मुख्यमंत्री नामित कर , 'एकला चलो रे' का सिद्धांत लागू किया  याने  सत्ता रुपी दही की मटकी  को अपनी अंगुली पर टांग दिया, तो अब शिवसेना के ' शेर 'याने ठाकरे बंधू 'म्यायुं -म्यायुं ' कर रहे हैं। ऐंसे ही लोगो को कबीरदास जी कह  गए हैं ;-

      कबीरा गरब ने कीजिये ,कबहुँ  न हंसिये  कोय।

     अबहूँ नाव मझधार में ,न जाने क्या होय।।

      इधर  महाराष्ट्र की जनता ने कांग्रेस के कुशासन और भृष्ट  आचरण का दण्ड तो  दिया ,किन्तु भाजपा को भी  वांछित बहुमत न देकर दम्भी  नेताओं को कड़ा सन्देश दिया है कि लोक सभा की  अपनी  प्रचंड जीत को स्थाई न  समझे और उस जीत पर  ज्यादा न इतराएँ ! किसी ने  ठीक ही कहा है कि; -

  पुरुष  बली  नहिं  होत  है ,समय होत  बलवान।

  भिल्लन लूटी गोपिका ,वही  अर्जुन वही  बाण।। [अज्ञात]

              श्रीराम तिवारी

   

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