स्विस खाता धारक भारतीय धनकुबेरों को या मेरे शब्दों में कहूँ कि कालेधन के 'बिग चोट्टों ' को उनके बेंकर्स ने आगाह कर दिया है कि वे अमुक तारीख तक अपना पैसा निकाल लें वरना ....! इधर केंद्र सरकार के- नेता कम- मंत्री- ज्यादा- या कहूँ कि मंत्री -कम -वकील ज्यादा श्रीमान जेटली जी ने उन कांग्रेसियों की नींद हराम कर रखी है जिन्हे स्विस बैंकों की गोपनीयता पर बड़ा नाज था। जेटली जी की अदा है 'की हमारा मुँह मत खुलवाओ वरना … …! एक दूसरे बड़े वकील साब हैं -श्री राम जेठमलानी जी वे केंद्र सरकार का टेंटुआ दवा रहें कि 'बताना ही होगा -कौन -कोन हैं उस लिस्ट में '. लिस्ट याने ८०० व्यभिचारियों-मुनाफाखोरों या कहें की देश के गद्दारों की सूची। सरकार ने ८०० में से १३६ छाँट लिए हैं। कांग्रेस के अजय माकन को मालूम है कि उन का नाम इस सूची में नहीं है इसलिए वे शिद्द्त से सरकार को उकसा रहे हैं की 'बेलेक्मेल क्यों करते हो -दम हो तो बताओ न ! की कौन हैं -बिग चोट्टे ' उधर कालाधन विरोधी गैर राजनैतिक जनों-अण्णा ,रामदेव और अन्य की इज्जत दाँव पर है इसलिए वे अब केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री पर दवाव बना रहे हैं कि कुछ न सही दस-बीस के नाम तो बता ही दो ! इसलिए यह तय है कि कालाधन खोदने पर देश की जनता को बाबा जी का ठुल्लु मिलने जा रहा है।
यूपीए [गठबंधन] सरकार के तत्कालीन विदेश मंत्री , वित्तमंत्री,कानून मंत्री और खुद प्रधानमंत्री डॉ मनमोहनसिंह ने कई बार संसद में और सैकड़ों बार प्रेस - मीडिया के माध्यम से देश की जनता को बताया था ,कि विदेशों में जमा -खास तौर से स्विस बैंकों में जमा -काला धन के खाताधारकों के नामों का खुलासा कर पाना कानूनी रूप से सम्भव नहीं है। इस पर देश के 'व्हिसिल ब्लॉबर्स' से लेकर खुद भाजपा ने भी धरती आसमान एक कर रखा था। अब जबकि दिल्ली में भाजपा की ही निखालिस ईमानदार[?]मोदी सरकार सत्तासीन है, तो अब उसके ही मंत्री क्यों उवाच-रहे हैं कि खाताधारकों के नाम उजागर कर पाना संभव नहीं है? कांग्रेस तो चूँकि अभी अवसाद ग्रस्त है , किंचित अपराधबोध से भी पीड़ित है। कि न्तु अण्णा हजारे,किरण वेदी,सुब्रमण्यम स्वामी,श्री-श्री रविशंकर ,अरुण शौरी ,यशवंत सिन्हा जी और मीडिया के देशभक्त चिंतक अपनी-अपनी जुबान पर दही जमाये क्यों बैठे हैं ?
वैसे यह विदेशों में जमा काले धन की वापसी के बारे में- इस धन के मालिकों- याने 'बिग चोट्टों' के लिए अच्छी खबर है। उन्हें मालूम है कि चाहे मनमोहनसिंह की यूपीए सरकार हो या वर्तमान 'मोदी सरकार' - उनका कोई बाल-बाँका नहीं कर सकता। स्विट्जरलैंड सरकार तो तब भी नाम बताने और सहयोग करने को तैयार थी जब भाजपा विपक्ष में और सत्ता में यूपोऐ सरकार थी। तब बहुतेरे कपटी मुनि -अण्णा हजारे, नेता वल्द अफसर -केजरीवाल ,दवंग कम- उत्साही ज्यादा किरण वेदी , आधुनिक नारद मुनि अवतार -सुब्रमण्यम स्वामी और बाबा कम धंधेबाज ज्यादा -स्वामी रामदेव ने देश और दुनिया में तत्कालीन यूपीए सरकार की नाक में दम कर रखा था। इस काले धन की वापिसी के मुद्दे को पहले मीडिया ने और बाद में फिर देश की जनता ने भी हाथों -हाथ लिया था। परिणाम भी सामने है कि लोक सभा चुनावों में , भाजपा को नरेंद्र मोदी के नेतत्व में ,अभूतपूर्व सफलता मिली है। स्विट्जरलैंड सरकारआज भी वो सब बताने के लिए राजी ही जो भारत सरकार चाहती है। तो वर्तमान मोदी सरकार भी कुछ उसी अंदाज में इन कालेधन वाॅलों को उसी तरह उपकृत करने जा रही है जैसे कि 'मोनी बाबा' की सरकार कर चुकी है। चूँकि जिन्होंने एकजुट होकर यूपीए को खदेड़ा और कांग्रेस को निचोड़ा वे अब वर्तमान मोदी सरकार के शरणम गच्छामि हो चुके हैं अतः देखने लायक ये हैं कि देश की जनता क्या करती है ?
श्रीराम तिवारी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें