इंकलाब ज़िंदाबाद !
progressive Articles ,Poems & Socio-political -economical Critque !
गुरुवार, 23 अक्तूबर 2014
कहाँ पर जलाएं दिया अनिकेत अनगिन,
जीवन ही जिनका अमावस की रात है।
ख़ुशी मौज मस्ती अमीरों के चोंचले ,
निर्धन के पेट में तो भूंख को निवास है।।
कहाँ से पकाएं खीर -मोद्क - पकवान सब ,
चौदहवीं का चाँद जिन्हे रोटी दिखात है।
श्रीराम तिवारी
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