भाजपा के सर्वोच्च नेता और भारत के शक्तिशाली प्रधानमंत्री बनने के बाद -श्री नरेंद्र भाई मोदी अब व्यक्ति नहीं बल्कि एक विराट संस्थान बन चुके हैं। वे एक खास विचारधारा के प्रतिनिधि तो पहले से ही थे किन्तु विदेश यात्राओं के तेवरों ने और देश में चुनावी -उत्तरोत्तर सफलताओं ने उन्हें अपनी पुरानी नकारात्मक छवि से मुक्त होने के लिए शायद शिद्द्त से प्रेरित किया है। तमाम विरोधी पार्टियाँ ,एनडीए के सहयोगी दल [शिवसेना जैसी ] , भाजपा या संघ परिवार में उनके व्यक्तिगत प्रतिदव्न्दी मौजूद हैं। आइन्दा जो कोई भी वयक्ति या दल नरेंद्र मोदी की पुरानी छवि के आधार पर उनसे जूझने की कोशिश करेगा, तो उसकी हार सुनिश्चित है।
दरसल अपने मीडिया मैनेजमेंट की बदौलत - मोदी जी अब व्यक्ति नहीं बल्कि एकसर्वाधिक लोकप्रिय 'नायक' जैसे या एकसर्वाधिक - आकर्षक 'विचारधारा' के प्रतीक जैसे हो चुके हैं ।वेशक उनकी कटटर- साम्प्रदायिक और पूँजीवादी विचारधारा के दुष्प्रभाव से अमीर और ज्यादा अमीर होते चले जाएंगे जबकि निर्धन किसान -मजदूर -बेरोजगार युवा और अन्य छोटे -छोटे व्यापारी या कुटीर उद्योग वाले सभी - बेमौत मारे जायंगे। मोदी जी की विचारधरा से विकाश तो होगा किन्तु बेहद अनगढ़ होगा। वह अति क्रूर और एकपक्षीय ही होगा। सुशासन तो होगा किन्तु वह केवल सरमायेदारों की जान-माल की सुरक्षा के काम आएगा। आम आदमी और वंचित-शोषित समाज के लिए मोदी के पास कुछ भी योजना नहीं है। भले ही वे कितनी ही देशभक्तिपूर्ण और भावोद्देग भाषणबाजी करते रहें ।
जो लोग नरेंद्र मोदी के खिलाफ हैं और यदि वाकई उन्हें हराना चाहते हैं तो उन्हें चाहिए कि वे मोदी जी के चाल -ढाल या पहनावे की आलोचना करने ,भद्दे कार्टून बनाने ,उनकी भौगोलिक या ऐतिहासिक अज्ञानता का मजाक उड़ाने या खोखली आलोचना से बचें ।मोदी के विरोधियों द्वारा -जब तक मोदी जी की आक्रामक दक्षिणपंथी -विनाशकारी नीतियों के सापेक्ष कोई बेहतर वैकल्पिक नीति और कार्यक्रम आवाम के बीच ठीक से नहीं रखा जाता एवं जब तक मुख्यधारा का मीडिया व्यक्तिगत चाटुकारिता से ऊपर उठकर देश की आवाम के प्रति न्याय दृष्टिकोण नहीं अपनाता -तब तक हर वह नेता और दल जो मोदी से जूझ रहा है -हांरने को ही अभिशप्त है।इसीलिये मोदी का मजाक उड़ाने वाले जनता की नजरों में विदूषक नजर आ रहे हैं
मोदी तो अपने आप को तेजी से बदल रहे हैं ,वे अपने विरोधियों की हर चुनौती कबूल कर रहे हैं। मोदी के राजनैतिक तौर तरीके आधुनिक और कारगर हैं जबकि उनके विरोधी निहायत लकीर के फ़कीर और जुबानी जंग के कागजी शेर सावित हो रहे हैं। चाहे कांग्रेस हो ,चाहे जनता परिवार हो ,चाहे उद्धव हों,राज ठाकरे हो,चाहे प्रगतिशील वामपंथी हों या अल्पसंख्यक नेता हों -सभी ने मोदी की समय -समय पर खूब खिल्ली उड़ाई है। मेने भी सैकड़ों बार उनकी आलोचना की है। मतदाताओं के बीच,आवाम के बीच - मोदी जी के ये सारे आलोचकअभी तो केवल हताश और खिसयाये ही नजर आ रहे हैं।
श्रीराम तिवारी
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