बुधवार, 8 अक्टूबर 2014

क्या यह एक अस्थाई आंशिक एकाँकी नाटक जैसा कृत्य नहीं है ?

   


       वैसे तो   इंदौर  को मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी भी कहा जाता है। किन्तु  देवी अहिल्याबाई होल्कर  की पावन -पुरातन-मालवा की इस   नगरी को-  यहाँ के बाजारों ,कपड़ा मिलों और उद्द्योग धंधों  ,तीज- त्यौहारों ,  झाँकियों   -की वजह से  देश और दुनिया में शोहरत पहले से ही हासिल  थी।  विगत शताब्दी  के मध्य तक तो   इंदौर का मिल क्षेत्र  देश के मजदूर आंदोलन का एक महत्वपूर्ण केंद्र  भी हुआ करता था।  कभी यह मिल क्षेत्र -मजदूरों,मंडियों  और देश की  आजादी के संघर्षों का केंद्र हुआ करता था।  अब ये क्षेत्र पूँजी निवेश के नाम पर  नेताओं के निजी हितों को साधने और  मजदूर-किसानों के विनाश का साक्षी होने जा रहा  है। यहां पहले भी  भारत के पूँजीपतियों  को मुफ्त में  जल-जमीन- जंगल  उपहार में  दिए गए हैं किन्तु इस के वावजूद शिवराज सरकार को लगा कि  वे  भी मोदी जी के 'मेक-इन -इण्डिया' की तर्ज पर कुछ नया करें।  इसलिए अबकी बार - खूब मान-मनुहार  के साथ - बहरीन , बहामास , संयुक्त  अरब अमीरात, सिंगापुर,हाँगकाँग,  दुबई , इस्रायल,कांगो और साऊथ अफ्रीका  वालों को लाल-कालीन बिछाई गई है। इंदौर में  होने  जा रही तीन दिवसीय   ग्लोबल समिट के लिए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंग चौहान और देश के प्रधान  मंत्री मोदी जी इन निवेशकों  की  इंदौर में मेजवानी  करने जा रहे हैं। इस पूँजी निवेश से किसका कितना और कब विकास होगा ये तो पता नहीं किन्तु अभी तो  इंदौर के उस हिस्से की बल्ले -बल्ले है जहां पर इन पंक्तियों के लेखक का भी स्थाई 'वसेरा' है।
                     राजनैतिक शब्दावली में इंदौर  शहर के दशमांश उत्तर पश्चिम  हिस्से को 'दो  नंबर क्षेत्र'  कहा जाता  है। यह  क्षेत्र  भाजपा के कद्दावर नेता   कैलाश विजयवर्गीय  की जन्म भूमि और कर्म भूमि भी है। उन्ही   के नेतत्व में और उनके पट्ट शिष्य  मेंदोला जी के संरक्षत्व में - इस क्षेत्र का बाकई  काफी  विकाश हुआ है। हालाँकि  यह विकाश केवल भू माफिया , बिल्डर्स ,अफसर और नेताओं  तक ही सीमित  है. किन्तु   इसी बहाने  ही सही इंदौर  के इस क्षेत्र में चौड़ी-चौड़ी बना दीं गईं।   बड़े-बड़े बंगले, सुपर कॉरिडोर,सुपर बाजार,सुपर मार्केट और सुपर ऑडिटोरियम  बना दिए गए।  बड़े-बड़े माल्स,बिग बाजार,तथा 'कन्वेंशन सेंटर' भी इसी क्षेत्र में  ही बनाये गए हैं। जिस 'नक्षत्र और ब्रिलियंट कन्वेंशन में यह  समारोह आयोजित किया गया है वह मेरे निवास से मात्र ४०० गज की दूरी पर  हैं।   जिस  कन्वेंशन सेंटर्स में तथाकथित ग्लोबल समिट की धूम मची हुई है। उसके आसपास से लेकर एयरपोर्ट तक कहीं भी गंदगी का नामोनिशान नहीं है।  न केवल इस क्षेत्र को बल्कि लगभग पूरे इंदौर  नगर को चमका दिया गया है।
                                                  मेरा अभिप्राय ये हैं कि  जब हम ये शानदार काम तीन दिन के लिए  कर सकते हैं तो हमेशा के लिए किये जाने की मनाही कहाँ है ?वही शासन ,वही सरकार,वही मजदूर ,वही आर्थिक  संसाधन होते हुए भी - तब क्यों जबाब दे जाती है जब ये समारोह खत्म हो जाता है। तब पूरा शहर फिर से सूअर-कुत्तों,गायों-सांडों और चोर- उठाईगीरों  का चरागाह क्यों बन जाता है। वेशक में जिस इलाके में रहता हूँ -उसे -दो नंबर क्षेत्र  कहते हैं। इसमें  -प्रमुखतः  नंदानगर,  सर्वहारानगर   एमआईजी, एच आई जी  , बजरंगनगर ,मेघदूतनगर ,शीतलनगर,सुखलिया, स्कीम-५४,स्कीम-७४ और स्कीम -७८  इत्यादि कालोनिया विद्द्य्मान हैं।  इसी स्कीम-७८ में प्रदेश का  अधिकांस पैसा  क्यों लुटाया जा रहा है ?आज जो  सड़कें चमक रहीं हैं वे तीन दिन बाद  गंदगी से लबरेज क्यों हो जाना चाहिए ? शहर के सड़क किनारे  वस्ने वाले -गरीब-गुरबा पता नहीं कहां भगा  दिए गए हैं ?ढोर पकड़ कर पता नहीं कहाँ छोड़े गए हैं ?कुत्ते-सूअर,तो क्या मच्छर  भी भगा दिए गए हैं?
 क्या यह एक अस्थाई आंशिक एकाँकी नाटक जैसा कृत्य नहीं है ?
   यहाँ के भाजपाई नेताओं को  -जिन्हे बड़े गर्व से दो नंबरी  कहा जाता है। अपने नेता  कैलाश विजयवर्गीय   की अनुपस्थति  से थोड़े मायूस हैं. क्योंकि वे  आजकल हरियाणा में तैनात हैं। यह सर्वविदित है कि उन्होंने ही इस क्षेत्र को इतना विकसित कराया है।  यह भी सर्वज्ञात है कि उनके जूनियर और प्रदेश में सर्वाधिक वोटों से जीतने वाले नेता और विधायक पंडित  श्री रमेश मेंदोला जीहैं।  सुना है कि जिनकी इच्छा के बिना इस क्षेत्र में पत्ता भी नहीं  हिलता उन मेंदोला जी को भी इस   'ब्रिलिएंट कन्वेंशन 'में प्रवेश के लिए पास जुटाने में पसीना आ रहा है। ऐंसा लगता है की भाजपा में सभी जगह आपसी बैरभाव का समावेश हो चूका है। यही वजह है कि   ईर्ष्यावश  या सत्ता की प्रतिद्व्न्द्िता से डरकर -मुख्यमंत्री जी ने और उद्द्योगमन्त्री यशोधरा राजे ने 'दो नंबरी नेताओं 'को  इस 'ग्लोबल समिट' से दूर रखा है। बहुत सम्भव है कि  मोदी जी भी इस समिट  को उतना भाव नहीं देंगें कि  शिवराज की सफलता में चार चाँद लग जाएँ ! ये वाक्यात यह सावित करते हैं कि  भाजपा  न केवल अंदर  ही अंदर धधक रही है बल्कि उसकी आंच से देश और प्रदेश के विकास भी प्रभावित हो रहे हैं।

                    श्रीराम तिवारी 

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