गुरुवार, 9 अक्तूबर 2014

विकाश नामक कुकुरमुत्ते को पैदा करने के लिए 'इन्वेस्टर्स समिट ' जरुरी है !


 मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान के   कृत संकल्प  और भाजपा के पूँजीवादी  अजेंडे की परिणीति स्वरूप
 इंदौर का दूसरा  'ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट' अब अपने अंतिम चरण में है। प्रधानमंत्री  श्री मोदी जी भी  इंदौर आये और 'ब्रिलिएंट कन्वेंसन 'सेंटर में  प्रकट  भये। वहाँ उपस्थित देश-विदेश के पूँजीपति  वर्ग को  वे ये बता गए की शिवराज के नेतत्व में मध्यप्रदेश   हर क्षेत्र में अव्वल   हो गया है। आप लोग उनकी सदाशयता और प्रदेश की प्रचुर सम्पदा का  भरपूर  आनंद लीजिये।आप लोग देश के वेरोजगार युवाओं का सस्ता श्रम खरीदिए। आप  उद्यमी जन सामूहिक रूप से मौके का फायदा उठाइये और हमारी सत्ता का   मजा लूटिये। उन्होंने मध्यप्रदेश  की और शिवराज की  इतनी  जमकर  तारीफ़ की- जितनी   कभी मोदी जी की  शिवराज ने भी नहीं की होगी।  क्योंकि शिवराज को तो सुषमाजी ,आडवाणी जी और अनत कुमार जैसे  ढेरों नेताओं के मिजाज का भी ध्यान रखना पड़ता था।   मोदी जी तो "परम स्वतंत्र न सर पर कोई ! भावे  मनहिं करहिं सब सोई ! !"
                               अपने प्रतिदव्न्दियों या प्रतिश्पर्धियों के प्रति   मोदी जी की यह अदा - लाक्षणिक  आदत या   राजनैतिक  मजबूरी उन्हें तब   हास्यापद  बना  देती है जब वे यही  उद्घोष अन्य प्रदेशों में भी करते हैं।  जब वे गुजरात में होते हैं तो गुजरात सारे संसार  का ही नहीं  विकसित ब्रह्माण्ड का भी 'धुरी' बन जाता है। जब वे महाराष्ट्र में होते हैं तो वह सम्पन्नता और विकाश का वैश्विक 'मॉडल' बना दिया जाता है। यहां तक  कि जब  वे कभी बिहार में  होते  हैं तो  विकाश के पुरातन गीत भी गाने लगते हैं।  वे  इतिहास की भी ऐंसी-तेंसी  करने में  नहीं  हिचकिचाते।  एक बार तो मोदीजी ने नालंदा विश्विद्यालय के बहाने - पेशावर -पाकिस्तान से 'तक्षशिला'  उठाकर  भी  बिहारी  वोटरों को दे दिया था। वे जब  निर्धनतम  राष्ट्र - भूटान या नेपाल जाते हैं तो  ये गरीब देश  भी  उन्हें  डेनमार्क  और नार्वे जैसे लगते हैं। दिल तो है दिल दिल का- क्या कीजे ?
                   बहरहाल  उन्होंने मध्यप्रदेश के भाजपाइयों  से खचाखच भरे'ब्रिलिएंट-कन्वेंसन'- सभागार में उपस्थित  चंद गिने-चुने -जाने-पहिचाने -उद्यमियों  को  देवीय वाणी से आल्हादित  कर ही  दिया।  मोदी जी के  आशीष बचन  हैं कि  - हे  पूँजीपतियों -उद्यमियो-दलालो- ठेकेदारो ,  भूस्वामियों ,सूदखोरों और   भारत के  राष्ट्रीयकृत बेंको को चुना  लगाने वालो सुनों - स्विस बैंक के खाता धारको आओ  ! अपनी मुनाफाखोरी की भूंख - देश में या मध्यप्रदेश में मिटाओ ! आप लोग  अपनी आकांक्षाओं के सपने   देखो। मैं आपके सपनों को साकार करूंगा।  उनके अनुसार  देश और प्रदेश के विकाश के लिए  इस तरह के इन्वेस्टर्स मीट या समिट  बहुत जरुरी हैं। जब तक  ये आयोजित नहीं  किये  जाएंगे, तब तक विकाश    हो ही नहीं सकता !  विकाश नामक कुकुरमुत्ते   को पैदा करने के लिए 'इन्वेस्टर्स समिट ' जरुरी है !
                                                        इस समिट से पहले मुझे यह गलत फहमी थी कि  जिस तरह मख्खियाँ खुद-ब -खुद गुड  की ओर   खिचीं  चली  आती हैं।  शायद उसी तरह धंधेबाज ,व्यापारी,दलाल,बिल्डर्स,भूमाफिया , ठेकेदार या पूँजीवादी  नेता  भी खुद -ब -खुद ही मुनाफे   की परिश्थितियाँ और चांस देखकर- मुफ्त  का चंदन घिसने पहुँच जाय करते हैं।   कौड़ी मोल जमीन ,मुफ्त -बिजली-पानी और सस्ता श्रम  देखकर  ही काइयाँ धन्धेवाज़ -अपनी लाइन चुनता है। मेरी यह ग़लतफ़हमी आधी तो शिवराज जी ने और आधी मोदी जी ने दूर कर दी है।  इन नेताओं के अनुसार देश और दुनिया में  जो उद्योग धंधे चल रहे हैं ,बाजार-मंडियां  और मेले-ठेले चल  रहे  हैं वे सब सरकारी प्रयासों का ही प्रतिफल है। तब तो ये भी  मानना  जोखिम भरा हो सकता है कि  ६७ साल में से चार माह घटा दो -उसके पहले वाला   इसी तरह का उजबक विकाश और उपलब्धियां किसी और नेता या  पार्टी के खाते में  ही लिखे  जाएंगे  ! फिर तो सूखा -बाढ़ ,आतंक,महँगाई  और सामुद्रिक तूफ़ान भी सरकार के प्रयासों का परिणाम होने  चाहिए  ! शायद सीमाओं  पर बारूदी दुर्गन्ध भी   इन्ही  के प्रयासों का परिणाम  सिद्ध किया जासकता है।
                                 इन्वेस्टर्स समिट के सारांश अनुसार -ये तो सरकार ही है जो ज्योतिषियों की तरह  -उद्योगपतियों को यह ज्ञान देती है कि  वे कहाँ-कहाँ पैसा लगाकर -सर्वाधिक मुनाफाखोरी कर सकते हैं। इसीलिए उन्हें  पीले चावल भेजकर आमंत्रण  स्वरूप 'इन्वेस्टर्स समिट' के बहाने देश और प्रदेश की जनता के खून पसीने की कमाई को 'स्वागत-सत्कार' में लुटाया जा रहा है।  दूसरी और गरीब खोमचे वाला ,सब्जी वाला ,फेरी वाला ,फूटपाथ वाला ,रिक्से वाला ,सफाई वाला ,खेत-खलिहान में पसीना बहाने वाला और सभ्रांत वर्ग के  विकाश  के लिए -चौड़ी-चौड़ी सड़कें   बनाने वाला , 'नक्षत्र-ब्रिलिएंट कन्वेंसन हाल और बड़े-बड़े  माल्स बनाने वाला 'मजदूर' -शासन-प्रशासन  के मार्फ़त पूँजीपति  वर्ग के लिए  -उनके सिस्टम का पुर्जा मात्र है।

                           श्रीराम तिवारी
                                            

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