इंकलाब ज़िंदाबाद !
progressive Articles ,Poems & Socio-political -economical Critque !
शनिवार, 25 अक्तूबर 2014
तरुवर ताशु विलम्बिये ,बारह मास फलंत।
शीतल छाया गहर फल ,पंछी केलि करंत।।
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