बहुराष्ट्रीय निगमों का शिकंजा ,कसता जाता भारत पर।
बंद हो रही मिलें फैक्टरी , संकट कुल उत्पादन पर।।
नयी आर्थिक नीति ने देखो ,कैसा सत्यानाश किया।
सार्वजनिक संपत को साले बदमाशों ने हड़प लिया।
बाजारों की चकाचौंध ने ,निर्धन जन को रुला दिया।
अमर शहीदों की मजार पर ,एक जलता दीपक रो दिया। ।
;- श्रीराम तिवारी
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