इंकलाब ज़िंदाबाद !
progressive Articles ,Poems & Socio-political -economical Critque !
रविवार, 19 अक्टूबर 2014
रूठे स्वजन मनाइये ,जो रूठें सौ बार।
रहिमन पुनि-पुनि पोइये , टूटे मुक्त हार। ।
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