भाजपा पर आरोप है की वह धुर दक्षिणपंथी -भृष्टतम -उग्र पूंजीवाद -को शिरोधार्य करने के साथ -साथ उग्रतम बहुसंख्यक साम्प्रदायिकता की तरफदार है। महाराष्ट्र में चूँकि उसे वांछित बहुमत नहीं मिल पाया है. अतएव सवाल है कि सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उसे सरकार बनाने के लिए राज्यपाल महोदय जब बुलाएंगे तो उसके 'बाह्य और आंतरिक अलायन्स पार्टनर दोनों होंगे। दरसल भाजपा के सहयोगी बनने के लिए महाराष्ट्र में शिवसेना ,राकांपा ही नहीं कुछ कांग्रेसी भी सत्ता के गलियारे में संभावनाएं तलाश रहे हैं। इसीलिये बहुत संभव है कि गडकरी प्रभाव में-धुर दक्षिणपंथी पूँजीवादी भृष्ट - राकांपा -और हिंदुत्व की दुहाई देने वाली - 'मराठी अस्मिता' से महिमामंडित - शिवसेना -दोनों ही भाजपा के अगल-बगल होंगे.याने अब जो सरकार महाराष्ट्र में बनने जा रही है - वो 'नीम चढ़ा करेला ही होगी " इस पर तुर्रा ये की आइन्दा महाराष्ट्र में राजनैतिक स्वरूप जो भी होगा - उस पर वर्चस्व केवल 'नमो' का ही होगा।
श्रीराम तिवारी
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