इंकलाब ज़िंदाबाद !
progressive Articles ,Poems & Socio-political -economical Critque !
शुक्रवार, 24 अक्तूबर 2014
सदा दिवाली संत की , बारह मास वसंत।
प्रेम रंग जिनपर चढ़ा ,उनका रंग अनंत।।
या अनुरागी चित्त की ,गति समझे नहिं कोय।
ज्यों-ज्यों बूढ़े*श्याम रंग ,त्यों-त्यों उज्जवल होय।।
* [बूढ़े =डूबे]
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