गणतंत्र हुआ धनतंत्र महान!
धर्मनिरपेक्षता हुई कुर्बान!!
सेंत मेंत में सब कोई चाहे,
संकल्प चढ़ जाये परवान!
सतत विदेशी पूँजी निवेश से ,
नहीं बनेगा देश महान।।
सीमाओं पर घोर अशांति,
जातिय संघर्ष के नए तूफ़ान।
नेताओं के सैर सपाटे ,
अमेरिका रूस जापान।।
महँगाई कालाबाजारी ,
रिश्वत का नहीं कोई निदान।
अमीर ज्यादा हुआ अमीर ,
असुरक्षित हैं मजदूर किसान।।
वापिस लाएंगे काला धन ,
विगत चुनाववमें किया बखान।।
अब पानी पी-पी कर कर रहे ,
नेता जी का फिर गुणगान!
बिक रहे जल-जंगल -जमीन ,
फलता फूलता माफिया महान !!
एकजुट संघर्ष के सिवाय अब,
और कोई विकल्प नहीं आसान!
गणतंत्र हुआ धनतंत्र -महान!!
श्रीराम तिवारी
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