मार्क्स एंगेल्स ने इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या द्वारा इस बात को सिद्ध किया कि दास स्वामी युग में दासों और सामंती युग में किसानों के संघर्ष उनके अल्पसंख्यक हिस्सों के संघर्ष थे।
किन्तु इसके विपरीत पूंजीवादी युग में पूंजीपति वर्ग के विरुद्ध चल रहा मजदूर या सर्वहारा वर्ग का संघर्ष बहुसंख्यक वर्ग का संघर्ष है।
सर्वहारा वर्ग को पूंजी वादी व्यवस्था ने ही पैदा किया है।उसी ने इस सर्वहारा वर्ग को एकत्रित भी किया है।
पूंजीवादी व्यवस्था और पूंजीपति वर्ग ने ही मजदूर या सर्वहारा वर्ग को लड़ना या संघर्ष करना सिखाया है।
पूंजीवाद ने सामंतवाद के विरुद्ध जो लड़ाई लड़ी,उसमें उसने मजदूर वर्ग का भी सहयोग लिया है।किन्तु सामंतवाद पर अपनी विजय के बाद उसका सारा लाभ पूंजीपति वर्ग ने अपने खाते में कर लिया।सर्वहारा वर्ग को जो लाभ हुआ वह यह कि उसने अब लड़ना सीख लिया।
सर्वहारा वर्ग किसी नेता या किसी पार्टी के इशारे पर या उसके आदेश पर या किसी किताब को पढ़ कर संघर्ष नहीं करता।
हकीकत यह है कि सर्वहारा वर्ग के जीवन संघर्ष की दशाएं ही उसे अपना हानि लाभ समझने,सचेत होने ,संगठित होने और संघर्ष के लिए प्रेरित करती हैं।
सर्वहारा वर्ग के नेता और पार्टी तथा पुस्तकों की भूमिका यह होती है कि ये सब सर्वहारा वर्ग के संगठन और संघर्ष को क्रांतिकारी कार्य कुशलता प्रदान करने का मार्गदर्शन करते हैं।
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