मेरे एक वरिष्ठ सहकर्मी और ट्रेड यूनियन के साथी अक्सर कहा करते थे कि ''जिस तरह प्राकृतिक रूप से गंगा मैली नहीं है,बल्कि उसे कुछ गंदे लोग मैला करते रहते हैं,उसी तरह यह पूंजीवादी लोकतांत्रिक राजनीति भी जन्मजात गन्दी नहीं होती,बल्कि कुछ स्वार्थी लोग ही इसे गंदा करते रहते हैं। जिस तरह मूर्ख धर्मांध और संकीर्ण लोग पवित्र गंगा नदी को गटरगंगा बनाने में जुटे रहते हैं,उसी तरह फितरती और धूर्त लोग इस राजनीतिक व्यवस्था रूपी गंगाको गटरगंगा बनाने में जुटे रहते हैं। "
चालाक प्रवृत्ति के लोग सत्ता में आने के लिए पहले तो जाति,धर्म-मजहब एवम अंधराष्ट्रवाद' का वितंडा खड़ा करते हैं और लोक लुभावन वादे करते हैं। जब ये सत्ता में आ जाते हैं तो भस्मासुर बन जाते हैं। जब वे चुनावी वादे पूरे नहीं कर पाते,जब मेहंगाई उनसे नहीं रुकती,जब वे रोजगार नही देपाते, और जब वे किसानों की मदद नही कर पाते, तो वे मीडिया को गुलाम बनाकर -विपक्ष पर हमला करते हैं और कभी नोटबंदी,कभी जी एस टी,कभी सर्जिकल स्ट्राईक और कभी असंभाव्य विकास को मीडिया पर परोसने लग जाते हैं!किंतु जनता उनके झांसे में नही आती,उम्मीद की यही एक किरण बाकी है!
चालाक प्रवृत्ति के लोग सत्ता में आने के लिए पहले तो जाति,धर्म-मजहब एवम अंधराष्ट्रवाद' का वितंडा खड़ा करते हैं और लोक लुभावन वादे करते हैं। जब ये सत्ता में आ जाते हैं तो भस्मासुर बन जाते हैं। जब वे चुनावी वादे पूरे नहीं कर पाते,जब मेहंगाई उनसे नहीं रुकती,जब वे रोजगार नही देपाते, और जब वे किसानों की मदद नही कर पाते, तो वे मीडिया को गुलाम बनाकर -विपक्ष पर हमला करते हैं और कभी नोटबंदी,कभी जी एस टी,कभी सर्जिकल स्ट्राईक और कभी असंभाव्य विकास को मीडिया पर परोसने लग जाते हैं!किंतु जनता उनके झांसे में नही आती,उम्मीद की यही एक किरण बाकी है!
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