गुरुवार, 4 अक्तूबर 2018

'खुशी'

उन्हें मंदिर में मिलती है,
इन्हें मस्जिद में मिलती है!
मैं जब चाहूं खुशी मुझको,
मेरे ह्रदय में मिलती है!!
उसे दौलत में मिलती है,
इसे शौहरत में मिलती है!
मैं किसी के काम आ जाऊं,
खुशी सौ बार मिलती है!!
खुशी खुशबू है बागों की,
खुशी मृग नाभि कस्तूरी!
निर्मल ह्रदय की वीणा ही,
अनहद नाद सुनती है !!
अपावन चित्त की वृत्ति,
ग़मों के सिंधु भरती है!
चमन की फिक्र कर माली,
खुशी गुलशन में मिलती है !!

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नादान शख्स भी जानता है,
जब दिन होता तब रैन नही!
आहवान खुशियों का हो गर,
फिर मन होता बैचेन नहीं!!
महफिल सारी बेदम होती
यदि मुखसे मीठे बैन नहीं!
हिंसा नफरत बैरभाव सब,
किंचित कुदरत की दैन नहीं!!

ख़ुशी  उसकी है जीवन साथी,
 परहित बिन जिसको चेन नहीं !

श्रीराम तिवारी 

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