बुधवार, 10 अक्टूबर 2018

उनके पैशाब से चिराग जल रहे हैं!

यदि आज भाजपा (एनडीए )वाले विपक्ष में होते और किंचित मनमोहनसिंह या कोई और देश का प्रधानमंत्री होता,तो कल्पना कीजिये देश की तस्वीर क्या होती? तब शायद रामलीला मैदान पर आडवानी और मुरली मनोहर जोशी सोनिया और राहुल के खिलाफ दहाड़ रहे होते! अण्णा हजारे और रामदेव पैट्रोल की बढ़ती कीमतों और डॉलर के सापेक्ष रुपयेकी घटती कीमत के खिलाफ जंतर -मन्तर पर,धरना दे रहे होते। तब सुश्री उमा भारती, प्रवीण तोगड़िया और देश भर के बाबाओं-बाबियों,स्वामियों एवं श्री-श्री के नेतत्व में रामलला मंदिर,धारा 370 और बंगलादेश और म्यामार के शरणार्थियों के मुद्दे पर भारत भर में कोहराम मचा होता! तब वेचारे डॉ मनमोहनसिंह को या जो भी 'वेचारा' प्रधानमंत्री होता,उसे स्म्रति ईरानी और सुषमा स्वराज,मीनाक्षी लेखी हरी -हरी चूड़ियाँ भेंट कर रहीं होतीं ! और सारा मीडिया देश की दुर्दशा पर चिल्ल पों कर रहा होता!
यदि केंद्र में कांग्रेसी या कोई गैरभाजपाई सरकार होती और मोदीजी गुजरात के ही मुख्यमंत्री होते तो वे या तो भाजपा अध्यक्ष पद के लिये जुगाड़ लगा रहे होते या कोई गौरव यात्रा पर होते या 56 इंच का सीना दिखला रहे होते!और जेटली सुप्रीम कोर्ट में विजय माल्या को बचाने का केस लड़ रहे होते!आज जिनके पैशाब से चिराग जल रहे हैं ,वे अमित शाह अहमदावाद, सूरत, बड़ोदरा नगर निगम के ठेके अपने बेटे को दिला रहे होते! मायावती युुपी की मुख्यमंत्री होती और लालु यादव बिहार की,मुलायम यादव परिवार यूपी की सत्तापर काबिज होनै की फिराक में होते! वेशक केवल वामपंथ की भूमिका यथावत होती,याने वह तब भी शोषण उत्पीड़न के खिलाफ लड़ रहा होता जैसे कि पहले लड़ता रहा है और अब भी लड़ रहा है!

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