दब जाओ पाप के बोझ तले जब,
चुक जायें तुम्हारे भौतिक संसाधन,
अमानवीय जीवन के!
आतंक-हिंसा-छल-छद्म-स्वार्थ-
डूबे आकंठ पाप पंक में,
सुनना अपनी आत्मा की-
चीख-युगान्तकारी कराह!
लगे जब देवत्व की प्यास,
प्रेम की भूख चले आना,
स्वाभिमान की हवा में-
देखना आज़ादी का प्रकाश !
उतार फेंकना जुआ शोषण का,
और गूंजते हों क्रांति के गीत जहाँ ,
आ जाना मैं वहीं मिलूंगा।
चुक जायें तुम्हारे भौतिक संसाधन,
अमानवीय जीवन के!
आतंक-हिंसा-छल-छद्म-स्वार्थ-
डूबे आकंठ पाप पंक में,
सुनना अपनी आत्मा की-
चीख-युगान्तकारी कराह!
लगे जब देवत्व की प्यास,
प्रेम की भूख चले आना,
स्वाभिमान की हवा में-
देखना आज़ादी का प्रकाश !
उतार फेंकना जुआ शोषण का,
और गूंजते हों क्रांति के गीत जहाँ ,
आ जाना मैं वहीं मिलूंगा।
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