आदिम दास-स्वामी युग में ही दासों के संघर्षों के परिणामस्वरूप सामंती प्रणाली का अर्थात सामंत और किसान वर्गों के संबंध की आर्थिक सामाजिक प्रणाली का जन्म हो गया था।
किन्तु उस युग की निर्णायक प्रणाली दास स्वामी संबंधों की ही प्रणाली थी।और उसका रक्षक राज्य दास स्वामी राज्य ही था।
जिस इलाके में और जिस समय दास स्वामी राज्य का पतन और सामंती राज्य की विजय हुई वहां और उसी समय से दास स्वामी युग का अंत और सामंती युग का श्री गणेश हो गया।यह एक क्रांति थी।
दास स्वामी युग आदिम साम्यवादी युग की अपेक्षा एक प्रगतिशील युग था।और सामंती युग दास स्वामी युग की अपेक्षा अधिक प्रगतिशील था।
दास स्वामी युग का आगमन स्वाभाविक था।दासों पर अत्याचार भी स्वाभाविक था।बिना उसके वह दूसरों के लिए नहीं खट सकता था।और आर्थिक विकास संभव नहीं था ,तो दासों का विद्रोह ,संघर्ष और स्वामियों की सेना से युद्ध भी स्वाभाविक था।
इनके बिना दासों की मुक्ति संभव नहीं थी।
दासों के जीवन के लिए दास स्वामी युग में किए जाने वाले सारे सुधार उन सभी को मुक्ति दिलाने के उद्देश्य से नहीं होते थे किन्तु इस मात्रात्मक परिवर्तन ने गुणात्मक परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त किया और दासों के अनवरत संघर्ष ने उसे पूरा कर दिया।
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