यह सच है कि सवर्ण लोगों का भाजपा और कांग्रेस से मोह भंग हो गया है!इसीलिये वे नोटा के बारे में सोच रहे हैं!किंतु अभी तक तीसरे मोर्चे की तरफ से उन्हें कोई भी राजनैतिक दल आशस्वत नही कर पाया है कि भले ही दलित वर्ग के पक्ष में कानून बने रहें,आरक्षण भी जारी रहे,किंतु सवर्ण समाज को ऐट्रोसिटी एक्ट के तहत नाहक सताया नही जायेगा!उनकी पीड़ा को समझने के बजाय,सभी दल सवर्णों को भाजपा की जर खरीद मिल्कियत समझ रहे हैं!जबकि सवर्ण समाज किसी सर्वमान्य राजनैतिक विकल्प के बारे में घोर असमंजस में है!
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