नीति आयोग की अनुशंसाओं के तहत भारत सरकार अपने प्रमुख सार्वजनिक उपक्रमोंकी उपेक्षा कर रही है!एक तरफ तो वह अपने ही केंद्रीय कर्मचारियोंको सातवें वेतनआयोगकी सिफारिशें विगत जनवरी 2017 से ही लागू करचुकी है,दूसरीओर अधिकांस सा्र्वजनिक उपक्रमों को घाटे में धकेलकर कर्मचारियों के लिये पी आर सी में इंटरेस्ट नही ले रही है!ऊपर से तुर्रा यह कि 'हायर एंड फायर'नीति के तहत पुरानै ठेका मजदूरों को यह सरकार बाहर निकाल रही है!ऐंसा प्रतीत होता है कि अंबानियों और अडानियों से चुनावी फंडलेने की एवज में सत्ता के दलालों ने सार्वजनिक उपक्रमोंकी हत्या की सुपारी ले रखी है!जिन नवरत्नों ने अतीत में भारत का हर संकट में साथ दिया,युद्ध के समय शानदार भूमिका निभायी,विदेशी कर्ज चुकाया और कभी भी आर्थिक मंदी में फिसलने नहीं दिया,जिनकी बदौलत हमारे नेता इतराते हुये देश विदेश में घूमते फिरते रहे हैं ,उन सार्वजनिक उपक्रमों को अब यह मौजूदा सरकार ठिकाने लगा रही है।
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