सोमवार, 24 सितंबर 2018

    *जो 'अविद्या'अर्थात भौतिकवाद (Materiism ) की उपासना करते हैं,वे गहन अंधकार में भटकते हैं और जो 'विद्या'अर्थात अध्यात्मवाद (Spiritualism ) में रत होकर भौतिक जगत की परवाह नही करते,वे महा घोर अंधकार में भटकते रहते हैं !विद्वान वही है जो अपने जीवन में दोनों का समन्वय करे!*
    (ईशावासयोपनिषद 1-9)
    "लोकतंत्र में ऐंसा शासक चुनो,जो
    आर्थिक रूप से भले निर्धन हो,किंतु चरित्र के स्तर पर कोई 
    हरामजादा पूंजीपति उसे खरीद न सके!#राफैल#
    टिप्पणियाँ
    Ajit Dubey पूंजीपतियो की पैदा की गई दल,आपके सामने है,मरते रहो
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    DrBraj Mohan Singh भ्रष्ट संस्कार वाले हैं
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