जबतक आपके घरमें,मोहल्लेमें,शहरमें,प्रदेश में,देशमें और दुनियामें कोई माकूल व्यवस्था कल्याणकारी-राज्य स्थापित न हो जाए,कोई न्यायप्रिय-अमनपसन्द वातावरण स्थिर न हो जाए या जब तक कोई बेहतर सकारात्मक सामाजिक-आर्थिक-सांस्कृतिक क्रांति न हो जाए ; तब तक प्रत्येक व्यक्ति की सेहत के लिए यह उचित है कि अपनेसभी परम्परागत मानवीय मूल्यों और नैतिक मापदंडों का अनुशरण अवश्य करे।क्योंकि ऐंसा करते हुए ही मानवीय जीवन की द्वंदात्मक संघर्ष यात्रा जारी रखी जासकती है।जिस तरह क्रांति के बावजूद सोवियत संघ(रूस)चीन ने पूंजीवाद को धीरे धीरे नियंत्रित करते हुये साम्यवाद को तरजीह दी उसी तरह बाकी दुनिया के सर्वहारा वर्ग को भी अपने पुरातन भाववादी आदर्शवाद कमतर करते हुये वैज्ञानिक और तार्किक भौतिकवाद को तरजीह देना होगी!
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