रविवार, 19 अगस्त 2018

जिंदगी मुस्कराएगी।

हरएक स्याह रात के बाद ,नई सुबह जरूर आयेगी!
तलाश है ज़िसकी तुुझे वो मौसमे बहार फिर आएगी।।
दैहिक निजी स्वार्थ से ऊपर उठ जरा कुछ थोड़ा सा ,
ख्वाहिसोंके उसपार,छितिजमें जिंदगीखुद मुस्कराएगी।
समष्टि चेतना को देगा नाम,जब तूं रूहानी इबादत का ,
संवेदनाओं की बगिया,खुद ब खुद खिल खिलाएगी।
जिंदगी की तान सुरीली हो,कदम ताल सधे हों तेरे,
जीवन व्योममें बजउठेंगे वाद्यवृन्द नईभोर गुन गनायेगी!
Shriram Tiwari

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