गुरुवार, 30 अगस्त 2018

मेरा यकीन है कि तलवार पर मेरी कलम ही भारी है!मैंने कभी भी हिंसा को सही नही माना,क्योंकि हिंसक संघर्ष में हमेशा वही मारा जाता है जो वंचित है,कमजोर है!मेरा मकसद औरों की तरह कमजोरों को भड़काकर हिंसक संघर्ष में उल्लू सीधा करना नही है!भारत वैसे भी मूलत: अहिंसावादी देश रहा है,उसी की बदौलत यह गुलाम भी रहा है,किंतु फिर भी यह अकाट्य सत्य है कि मानवता के लिये अहिंसा ही अंतिम विकल्प है!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें