बेबकूफ हैं वे जो फूलों को,
खार बनाने पर आमादा हैं!
कवियों लेखकों बुद्धिजीवियों,
को अंगार बनाने पर आमादा हैं?
वे खेतों खलिहानों की उर्वर,
और महकती सौंधी मिट्टी को!
धर्म जात मजहब के संघर्षों,
की तलवार बनाने पर आमादा हैं!!
खार बनाने पर आमादा हैं!
कवियों लेखकों बुद्धिजीवियों,
को अंगार बनाने पर आमादा हैं?
वे खेतों खलिहानों की उर्वर,
और महकती सौंधी मिट्टी को!
धर्म जात मजहब के संघर्षों,
की तलवार बनाने पर आमादा हैं!!
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