मंगलवार, 14 अगस्त 2018

आजादी के दीवानों ने

धूल धुअॉ धुंध से भरा राष्ट्र,
यह आँसुओं से भरा हुआ!
निर्धन ग्रामीण देखो गौर से,
हरेक चेहरा है बुझा हुआ!!
इन बड़े बड़े नगरों में देखो ,
जहां केवल भीड़ पसारा है।
भटक रही तरुणाई यहाँ की,
फिर भी सत्ता की पौबारा है।।
पूर्वजों आजादी के दीवानों ने,
एक क्रांति ज्योति जलाई थी।
होगा प्रजातंत्र -समाजवाद ,
सबने ऐंसी आस जगाई थी।।
जात पांत भाषा मज़हब की ,
उनने कटटरता ठुकराई थी।
आज़ादी के बाद अमन की ,
शहीदों ने राह दिखाई थी।।
अब भूँखे को रोटी मिल जाए,
निर्धन को मिले रोजगार सहारा है ।
नंगे भूँखे की कैसी आजादी,
उसे तो सारा जहाँ हमारा है।।

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