बुधवार, 29 अगस्त 2018

हौसलों का पाथेय पानी रख।

परिंदे हौसला कायम रख,
बस ऊंची उड़ान जारी रख!
हर इक निगाह तुझ पर है ,
चौकस निगाह मानी रख।
बुलंदियाँ तेरी हर वक्त हिम्मत,
शख्सियत को आजमाएँगीं,
दिल में उमंग,परों में जान रख,
नजर को आसमानी रख।
परिंदे पहले भी उड़े हैं खूब,
भटककर राह भी भूले होंगेे,
जो लौटकर फिर नही आये,
याद उनकी लाभ हानि रख!
दुष्तर दहक़ता आसमाँ होगा-
कहीं बादल कहीं अँधेरा घुप्प ,
चमकती बिजलियाँ होंगीं,
हौसलों का पाथेय पानी रख।
भेदकर लक्ष्य धुंध के उस पार,
तुझे दूर-बहुत दूर जाना है,
'सितारों से आगे जहाँ और भी हैं',
अमरत्व की अविचल निशानी रख।
परिंदे हौसला कायम रख,
बस ऊंची उड़ान जारी रख!!...
श्रीराम तिवारी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें