विभिन्न सूत्रों की सूचनाएं हैं कि आवारा ढोरों से भरे ट्रक को कांजी हॉउस ले जाने या कसाई खाने ले जानेवालों से 'संस्कृति रक्षक' संगठित गिरोह जबरिया 'बंदी'लेतेहैं जिसका एक हिस्सा पुलिस को भी जाता है। जो ट्रक वाला या ड्रायवर यह 'शुल्क नहीं दे पाता या जो अपनी 'पहुँच ' का प्रमाण नहीं दे पाता, उसको 'गौहत्यारा' बीफ भक्षक घोषित कर वहीँ 'लुढ़का 'दिया जाता है। ऐंसा नहीं है कि मुख्यमंत्री या प्रधान मंत्री यह नहीं जानते लेकिन लोकतंत्र और देश के दुर्भाग्य से ये हत्यारे ही उनके पोलिंग बूथ एजेंट भी हुआ करते हैं।इसीलिये इस प्रकार के दमन-उत्पीड़न को रोक पाने में वर्तमान राजनैतिक व्यवस्था [NDA Govt]असफल हो रही है। इसके लिए कुछ हद तक दलित -शोषित समाज के लोग भी इस अपराध के भागीदार हैं। बेकारी की हालत में वे दवंग नेताओं और अपराधियों के हाथों 'कुल्हाड़ी का बेंट' बन कर अपने ही सजातीय बंधुओं की हत्या के गुनहगार होते हैं। किसे नही मालूमकि यूपी, बिहार और हरियाणा में जातीय आधार पर राजनैतिक आतंक किन जातियों का है?
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