गुरुवार, 30 अगस्त 2018

सिसकी तुम्हारी सुनता कौन है?

हंसोगे अगर तो हंसेगी साथ दुनिया,
रोओगे तो सहोगे अकेले दुसह भार!
खुशी है ऐसी शै जो हम ढूंढते हैं बाहर ,
और गमों के भर रखें हैं भीतर भण्डार!!
ठहाका लगाओ तो आसमां गूँज उठेगा ,
आह भरो तो पाओगे हर शख्स मौन है !
हर्ष उल्लासों की प्रतिध्वनियां मन पसंद,
मौन-मंद सिसकी तुम्हारी सुनता कौन है !!
खुशियां अगर बांटो तो लोग आएंगे तेरे दर,
दिखाओगे अपने गम, तो सब दूर हो जायेंगे !
हिस्सा आपके सुख में सभी बंटाना चाहेंगे ,
चाहते हुयेभी आपके दु:ख नहीं बांट पायेंगे !!
सुख में तो सारे होते ही हैं मीत जहाँ में ,
दुःख में कोई एक तुम ढूँडते रह जाओगे !
मौज-मजे में तुम्हारी बनते रहेंगे मीत सब,
गर्दिश में व्यंग्य वाणों से बच नहीं पाओगे !!
यदि कभी दावत दोगे तो जुट जायेगी भीड़,
किंतु फाकें में साथ देनें कोई नही आ्येगा !
ज़िन्दगी में सब साथ देंगे,अगर सफल रहोगे,
डूबते हैं आप तो बचाने कोई नहीं आयेगा !
श्रीराम तिवारी

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