बुधवार, 29 अगस्त 2018

विनिवेश के दर्द भरे दोहे !

भारत के जनतंत्र को,लगा भयानक रोग !
राजनीति में घुस गए,घटिया शातिर लोग !!
नई आर्थिक नीति अब ,करती नए सवाल !
दुनियाके बाज़ार में, रुपया क्यों बदहाल !!
क्यों रूपये की हार है,क्यों डालर की जीत !
क्या अदभुत ये नीति है,पूँजीवाद से प्रीत !!
आदमखोर पूँजी हुई ,कपट कलेवर युक्त !
चोर-मुनाफा खोर हैं,इस युग में भयमुक्त !!
बढ़ते व्ययके बज़टकी,अविचारित यह नीति !
ऋणपर ऋण लेते रहो,गाओ खुशीके गीत !!
किस विकास कारण किये,राष्ट्र रत्न नीलाम !
औने -पौने बिक गए ,बीमा टेलीकाम !!
लोकतंत्र की पीठ पर,लदा माफिया राज !
ऊपर से नीचे तलक,हुआ 'कमीशन' काज !!
निजी क्षेत्र से हो रहे,रक्षा राफेल अनुबंध !
नवनिवेशकोंपर नहीं,कहीं कोई प्रतिबन्ध !!
पूँजी मिले विदेश से,किसी तरह तत्काल !
मल्टीनेशनलको नहीं,रूचि यहाँ फिलहाल !!
कोटि जतन मिन्नत करी,खूब नवाया भाल !
डालर लेकर आये ना, साहब गोरेलाल !!
डालर-डालर सब जपें,रुपया जपे न कोय !
मेहनतका रुपयाजपे,तोजगमगभारतहोय !!
श्रीराम तिवारी  

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