रविवार, 19 अगस्त 2018

मार्क्सवाद बनाम वर्ग संघर्ष का सिद्धांत'


मार्क्स एंगेल्स की,मेहनतकश जनता के प्रति पक्षधरता,उसकी दीन हीनदशा,उनकी दया, करुणा और सहानुभूति का ही परिणाम नहीं थी।यदि कुछ थी भी तो उसका अंश बहुत छोटा था।
मेहनत कश जनता की उनकी पक्षधरता का वास्तविक कारण यह है कि मानव समाज की दुनियामें जो कुछ भी उपयोगी और सुंदर रचना है वह उन्हीं के दिल,दिमाग और हाथों का कमाल है।अर्थात मेहनत का परिणाम है!
इतना ही नहीं उनका यह विज्ञान सम्मत विश्वास है कि जो हाथ दुनिया को सजाते हैं, वहीं इसे पूरी तरह से बदल देने का भी काम करेंगे।मार्क्स का विशेषआग्रह भी यही है कि असली सवाल तो दुनिया को बदलने का है।
मार्क्स बर्लिन विश्व विद्यालय में अध्ययन के लिए अपनी 18,,19 साल की उम्र में आए! और हेगेल के भाववादी द्वंद्ववाद पर गहन चिंतन कर,उसकी सहायता से पदार्थवादी या भौतिकवादी द्वंद्ववादी हो गए।
प्रकृति के विकास के द्वंद्व वादी विकास की तरह ही उन्होंने समाज के विकास के परस्पर विरोधी और द्वंद्व रत तत्वों की तलाश की और यह पाया कि उनके समय के ये तत्व पूंजीपति और सर्वहारा ही हैं।इनके सहारे वह पीछे लौटते हैं और आदिम साम्यवादी युग से पूंजीवादी युग तक के विकास की कुंजी को खोज लेते हैं।यह कुंजी है,,वर्ग संघर्ष,,।

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