भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू का प्रयास रहता था कि उनके जमाने के कुछ दिग्गज विपक्षी नेता चुनाव जीतकर संसद में जरूर पहुंचें !फिर चाहे वे ए .के गोपालन हों,राम मनोहर लोहिया हों,अटलबिहारी बाजपेइ हों,श्यामाप्रसाद मुखर्जी हों या बाबा साहिब भीमराव अंबेडकर हों!अब अमित शाह और उनके आकाओं ने राजनीति को इस कदर पतनोन्मुखी बना दिया है कि चाहे तालाबों में कमल खिले या न खिले किंतु भारतीय राजनीति में अब जब कोई मतदाता बटन दबाये तो खिलना सिर्फ कमल ही चाहिये ! यदि कोई नेता मरे तो उसकी मौत के मातम को इस कदर मनाओ कि वोटों का सैलाव आ जाये!यदि निमंत्रण पर सिध्दु पाकिस्तान जाये तो उसे देशद्रोही घोषित कर दो और मोदी जी यदि बिन बुलाये बदमास शरीफ के घर पहुंच जायें तो देशभक्ति!धन्य है स्वघोषित राष्ट्रभक्ति!
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