मंगलवार, 1 फ़रवरी 2022

 खुशबू,हवा,शजर खामोश.

कौन होता है भला,
इस कदर खामोश.
दिन में सूरज भी कुछ नही कहता,
रातमें चाँद भी खामोश.
न जाने किसकी नजर लगी है,
हम इधर खामोश,
वो उधर खामोश.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें