किसी के तीर में किसी के कमान में जादू !
तेरी नज़र में ही सही मेरी जबान में जादू !!
जब कभी इल्हाम सा होता है मुझे किंचित,
कहीं ज़मीन पै जादू कहीं आसमां पै जादूूू!
सच के सिवा कुछ नहीं होता मेरे बयानों में,
इसलिये छिपा होता है मेरे हर बयां में जादू!!
सफर में जब कभी सूरज के साथ होता हूँ,
चमकती धूप के सायेमें दमकते देखता जादू !
हमें तो फूल से पत्थर बना दिया इस जमाने ने,
न मेरे दिल में है जादू ,न मेरी जान में जादू !!
तमाम रात छत पर सितारों को देखा किये,
देखा फिजाओं में चमकती चांदनी का जादू !
उदासियाँ मेरे दरो दीवार पर ठहरती ही नही,
न जाने किसने कर दिया मेरे मकान पर जादू!!
श्रीराम तिवारी
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