गुरुवार, 24 फ़रवरी 2022

भारत को रूस यूक्रेन के बीच मध्यस्थता करनी चाहिये!

कल24 Feb ko रूसी सशस्त्र बलों ने यूक्रेन पर हमला करना शुरू कर दिया है। यह अस्वीकार्य है और रूस को यूक्रेन के खिलाफ अपने सैन्य अभियानों को तुरंत रोकना चाहिए। साथ ही, दुनिया को यह समझना चाहिए कि, अमेरिकी साम्राज्यवाद इस संकट के पीछे असली अपराधी है। North Atlantic Treaty Organization (NATO) 30 देशों का सैन्य गठबंधन है। अमेरिका इस सैन्य गठबंधन का नेता है। अब अमेरिका ने यूक्रेन को NATO का सदस्य बनाने के लिए कदम उठाए हैं। रूस यूक्रेन का सीमावर्ती देश है। यदि यूक्रेन NATO का सदस्य बन जाता है, तो NATO के सैन्य अड्डे और मिसाइलें रूस के दरवाजे पर आ जाएंगी। इसलिए, रूस वास्तव में डरता है कि, यूक्रेन के NATO में शामिल होने से इसकी सुरक्षा के लिए एक बहुत बड़ा खतरा पैदा होगा। इसी आशंका ने रूस को यूक्रेन पर हमले करने के लिए मजबूर कर दिया है।  भारत सहित विश्व के राष्ट्रों को तुरंत कदम उठाना चाहिए और बातचीत के माध्यम से इस संकट को हल करना चाहिए 

रसिया और भारत यद्यपि दसकों पुराने दोस्त है,किंतु एक ताकतवर दोस्त यदि किसी कमजोर मुल्क पर दबंगई करे, तो शरीफ दोस्त (भारत) को हक है कि अपने दोस्त (रूस) की दबंगई पर नाखुशी जाहिर करे! भारत को रूस यूक्रेन के बीच मध्यस्थता करनी चाहिये! भारत को केवल अमेरिका या युरोप के लिये मैदान खुला नही छोड़ना चाहिये!वैसे भी रूस ने इस मामले में भारत को विश्वास में नही लिया !

जबकि यूक्रेन की सरकार और वहाँ के राजदूत ने भारत से हाथ जोड़कर मदद की गुहार लगाई है! मोदीजी की छवि यदि बाकई वर्ल्ड लीडर की है,तो उन्हें यह साबित करने का यह मौका चूकना नही चाहिये ! उन्हें रूस यूक्रेन के बीच मध्यस्थता करनी चाहिये !और शिद्दत से हस्तक्षेप करना चाहिये!
इसलिये वक्त का पहिया करे पुकार !
यूक्रेन की गुहार सुने मोदी सरकारा!!
श्रीरामचरितमानस में लिखा है :-
*आये सरन तजहुँ नही काहू*
यदि सच्चे रामभक्त हो तो राम का आदर्श निर्वहन करके दिखाओ! तभीआप सच्चे अर्थों में हिंदुत्ववादी कहे जा सकेंगे!

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