निरंतर नफरत की मानसिकता,अच्छे भले इंसान को भी मनोरोगी बना देती है!पुतिन और लेजेंस्की इसके जीवंत प्रमाण हैं! इसी तरह भारत-पाकिस्तान,भारत चीन जैसे राष्ट्रों के बीच निरंतर नफरत,सभ्य कौम को भी हिंसक बना डालती है!
बाकी का तो क्या कहें,लेकिन यूक्रेन ने भारत के साथ जो किया था,उसे देखते हुए उसे खुद ही भारत से उम्मीद नहीं करना चाहिए।
पाकिस्तान को अत्याधुनिक हथियार बेचकर, 'अल-कायदा' को समर्थन देकर, सुरक्षा परिषद में भारत की सदस्यता के खिलाफ़ वोट देकर,भारत के खिलाफ लगे अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों के पक्ष में खड़े होकर और यूरेनियम के बड़े भंडार होने के बावजूद उसे भारत को न बेचकर या भारत के प्रधानमंत्री जी से उस मामले में बात करने से भी इनकार कर यूक्रेन ने जो किया था, वह उसे भी याद रखना चाहिए।
और, इंदिरा जी ने जब पाकिस्तान तोड़ा था तब हमारे खिलाफ युद्ध के लिये निकले अमेरिकी 'सातवें बेड़े' के जवाब में रूस द्वारा किये गये शक्ति संतुलन को हमें याद रखना चाहिए।
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