विगत 48 घंटों में ब्लादिमिर पुतिन के नेतृत्व में रूसकी सेनाने सारी दुनिया को स्तब्ध कर उक्रेन के तीन टुकड़े कर दिये हैं! रूसू सेना की कार्यवाही से उक्रेन के कई इलाके बर्बाद हो गये और सैकड़ों उक्रेनि सैनिक मारे गए हैं!
उक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्कि अमेरिका का पिटठू बन गया था,उसे बड़ा मुगालता था कि अमेरिकी और नाटो सेनाएं उक्रेन की ओर से रूसी सेनाओं का मुकाबला करने आएंगीं, किंतु अमरीकी राष्ट्रपति *जो बाइडेन*ब्रिटिस पीएम बोरिस जानसन या फ्रांसीसी राष्ट्रपति मेंक्रांन ने मुंह जुबानी जमा खर्च करने के सिवा कुछ नही किया ! दुनिया का कोई भी देश उक्रेन की मदद करने नही आया!
इस घटना से उन सबके मुगालते दूर हो गए, जो अमेरिका को दुनिया का सर्वेसर्वा- सर्व शक्तिमान या साम्राज्यवादी रहनुमा कहते थे और जो रूस को लुटा पिटा निर्बल कमजोर राष्ट्र समझते थे! दूसरे महायुद्ध के बाद की तरह दुनिया फिरसे दो धुर्वीय हो चली है,हर शख्स समझ ले कि अमेरिका अब अकेला महाशक्ति नही है! सोवियत संघ के आधा दर्जन टुकड़े हो जाने के बाद जब बचा खुचा रूस इतना शक्तिशाली है तो सोचने की बात है कि पूर्व सोवियत संघ (तब का कम्युनिस्ट) कितना शक्तिशाली रहा होगा?
वास्तव में 1917 की अक्टूबर क्रांति के बाद पूर्व सोवियत यूनियन (अब रूसी फेडरेशन) अपराजेय था,अपराजेय है और अपराजेय रहेगा! भारत के पढ़े लिखे और बुद्धिजीवी सोवियत संघ का ऐहसान मानते हैं!क्योंकि हर संकट में *सोवियत संघ* ने भारत का साथ दिया है,यही बजह है कि घोर दक्षिण पंथी अटलबिहारी वाजपेई और नरेंद्र मोदी भी रूस से मैत्री संधि जारी रखने के लिये बाध्य रहे हैं!
रूस से अलग होकर पिद्दे उक्रेन को चाहिये था कि अपने आका सोवियत संघ से अलग होने के बाद कमसे कम चेर्नोबिल एटॉमिक रियेक्टर और यूक्रेन में जो अंतरिक्ष स्टेशन कायम किये थे, उन्हें रूस के अधिकार में ही रहने देता! क्योंकि वे सोवियत संघ ने ही स्थापित किये थे! और यूक्रेन नॉटो संधि के बहाने अमेरिका को सौंपने जा रहा था!सर्व विदित है कि अमेरिका का उस क्षेत्र से कोई लेना देना नही है!
इसीलिये समझदार अमरीकी प्रसीड्ंट *जो बाइडेन* ने 'देख लेंगे' के अंदाज में रूस को धमकाया भर है! लेकिन पूर्व राष्ट्रपति पगलैट ट्रम्प इस मामले में अमेरिका की वर्तमान नीति को लेकर अपने ही देश अमेरिका का मजाक उड़ा रहा है और पुतिन की तारीफ कर रहा है! इस मानसिकता को धिक्कार है!
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