सरकारी भ्रस्टाचार को लेकर अन्ना हजारे, केजरीवाल, किरण वेदी, बाबा रामदेव और मनमोहन सरकार विरोधी मीडिया ने 2014 से पूर्व खूब हो हल्ला किया!दूसरी तरफ वामपंथ भी यूपीए को मझधार में छोड़कर सरकार की तथाकथित अमेरिकापरस्त नीति के खिलाफ आंदोलन में जुट गया!जबकि उसी अमेरिकापरस्त प्रधानमंत्री ने वामपंथ के कहने पर देश के 21 करोड़ गरीबों और बेरोजगारों को *मनरेगा* के तहत काम दिया! खैर वामपंथ ने जो सलूक मनमोहन सरकार के खिलाफ किया,उसीका परिणाम था कि 2014 के लोकसभा चुनावमें वामपंथ के केवल 10 सांसद रह गये! जबकि यूपीए वन के समय 64 थे!
अन्ना हजारे और रामदेव बाबा द्वारा किये गये आंदोलनों में दो मुद्दे प्रमुख थे,पहला-लोकपाल नियुक्ति में देरी और दूसरा UPA के दौरान भ्रस्टाचार ! लोकपाल का क्या हुआ ? अन्ना जाने ! किंतु मनमोहनसिंह की UPA सरकार पर लगाये गये भ्रस्टाचार के आरोपों को कोर्ट में साबित नही किया जा सका ! जबकि केंद्र में मोदी सरकार है!और आरोप सिद्ध नही कर पाने के कारण तमाम *चवन्नी चोर *बेदाग छूट गये! मतलब खोदा पहाड़ निकली चुहिया!
बेशक कांग्रेस और उसके सहयोगियों पर आरोप लगाने और आंदोलन करने का बेजा फायदा उठाकर केजरीवाल दिल्ली का मुख्य मंत्री बन बैठा!और भाजपाको*केंद्र सरकार* चलाने का मौका मिल गया ! याने *रजिया फँस गइ गुँडों में* रजिया याने गरीब जनता-मेहनतकश मजूर किसान ! और गुंडे कौन हैं यह लालकृष्ण आडवानी,यशवंत सिन्हा, मुरली मनोहर जोशी और सुब्रमन्यम् स्वामी से पूछ लो!
बेशक कांग्रेस के जमाने में भाई भतीजावाद, रिस्वतखोरी,भ्रस्टाचार खूब था, इसीलिये तो जनताने परेशान होकर उसके खिलाफ भारी जनादेश दिया! किंतु कांग्रेस का भ्रस्टाचार भाजपा सरकारों के भ्रस्टाचार के सामने चवन्नी बराबर नही था! लालू परिवार का चाराकांड,मुलायम परिवार का सैफईकांड , कांग्रेसी श्रीप्रकाश जायसवाल का कोयला कांड,प्रमोद महाजन परिवार,करुणानिधि परिवार,मरासोली मारान परिवारका स्पेक्ट्रम नीलामी कांड, शरद पवार+अजीत पवार का भू माफिया कृषि माफिया कांड - इन सबका भ्रस्टाचार मिलाकर यदि राई बराबर था! तो मोदी सरकारके 7 सालके कार्यकाल में हुआ आर्थिक भ्रस्टाचार- ऐवरेस्ट की ऊचाई के बराबर है!
राजऋषि के पहले कार्यकाल में आधा दर्जन गुजराती अमीर बैंकों का रुपया लूटकर भाग गये और विजय माल्या ललित मोदी ने जो किया वह सबको मालूम है! मोदीजी के राज में अंबानी एसिया के सबसे बड़े अमीर और अडानी दुनिया के सबसे बड़े मुनाफाखोर कैसे बन गये? यह शोध का विषय है!
अभी अभी एबीजी शिपयार्ड मामले में कल विपक्ष ने मोदी सरकार पर रु. 5.35 लाख करोड़ का आरोप लगाया है! यदि आरोप गलत है, तो सरकार को चाहिये कि विपक्ष पर मानहानि का मुकद्मा कायम करे! वरना जनता यही समझेगी कि यह दुनिया की सबसे भ्रस्ट सरकार है ,,,
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