कवि,नाटककार, महान विचारक, मानवता के पथप्रदर्शक *बर्तोल्त ब्रेख्त* की 122 वीं जयंति पर सादर नमन, पुण्य स्मरण...
इनके पिता कट्टर कैथोलिक और माँ प्रोस्टेंट थी! जबकि ब्रेख्त को जर्मन, फ्रांसीसी, चीनी और भारतीय दर्शनशाश्त्र में विशेष रूचि थी! उनकी कुछ निजी अनुभवजन्य अमिट स्थापनाएँ इस प्रकार हैं :- श्रीराम तिवारी
[1] गरीबी उदास जरूर करती है किन्तु संघर्षशील को बुद्धिमान भी बनाती है !
[2] लोग वहीँ के वहीं बने रहते हैं जबकि उनके मुखोटे निकल चुके होते हैं !
[3] कानून बनाने का एकमात्र उद्देश्य उन लोगों को ठगना है जो उसके बारे में नहीं जानते !
[4] अपनी आकांक्षा की पूर्ती से बेहतर है एक अच्छा इंसान बनने का जज्बा !
[5] भूखा इंसान यदि पुस्तकों से नजदीकियाँ बनाले तो पुस्तकें भी हथियार बन सकतीं हैं !
[6] बुद्धिमत्ता का तात्पर्य यह नहीं कि कोई गलती न की जाए ,बल्कि आप कितनी जल्दी अपनी गलती को सुधारते हैं,यही बुद्धिमत्ता है !
[7] हर कोई हर पल किसी की मदद का अभिलाषी है !
[8] जिन लोगों को सच का पता होता है फिर भी झूंठ बोलते हैं वे दुनिया में सबसे बड़े अपराधी हैं,जो सच से बाक़िफ़ नहीं होते वे बेईमानों के कठपुतली मात्र हैं !
[9] ज्ञान की दुनिया भी अजब है ,यहाँ दूसरों को सिखाने वाले खुद ही ज्ञान के मुँहताज हैं !
[10] मौत से डरो मत , यह आधे -अधूरे जीवन की तुलना में कम भयावह है !
: बर्तोल्त ब्रेख्त
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