पतझड़ की आहट सुनी,कोयल कूँकी भोर ।
लता कुँज वन बाग़ में,नव कलरव चहुँ ओर।।
नव कलरव चहुँ ओर,विकट मनसिज की माया।
आम्र मञ्जरी खिली,जब बीथन बसंत सरसाया ।।
मलय पवन मदमस्त,भ्रमर ने राग बासंती गाया ।
महुवा फूल संग नियति मुदित मादक रास रचाया।।
: श्रीराम तिवारी:
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