सोमवार, 28 फ़रवरी 2022

 4 साल से लगातार ऑक्सीजन सपोर्ट पर आश्रित अपनी भाबीजी से मिलने आये अनुज द्वय शालिग्राम,सीताराम! साथ में अनुज बधु हेमलता,नाती यथेष्ट, पौत्री शाम्भवी,नातिन याशिका,भतीजी रंजना, दामाद निर्मल जी,पुत्री अनामिका तथा हमारे प्रिय नाती राजा अक्षत और मा बदौलत...

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सर सी वी रमन का सादर पुण्य स्मरण !

 सर सी वी रमन का सादर पुण्य स्मरण !

आज २८ फरवरी को भारत का*नेशनल साइंस डे* है। आज ही के ही दिन महान वैज्ञानिक,नोबल पुरस्कार प्राप्त-आदरणीय वैज्ञानिक सर चन्द्रशेखर वेंकटरमण ने अपने विश्वविख्यात आविष्कार 'रमन इफेक्ट' के सफल अनुसंधान की घोषणा से सारे संसार को उपकृत किया!
वैसे इनका जन्म ८ नवंबर -१८८८ को मद्रास [चेन्नई] में हुआ था। उन्होंने प्रकाश किरणों के विशिष्ट प्रभाव और ततसंबंधी अनेक नवीनतम अन्वेषण प्रस्तुत किये। उन्होंने अनेक प्रकाशकीय अनुसंधानों में से एक मॉलिक्यूलर डिफ़्रेक्सन की क्रांतिकारी खोज की। उन्होंने भारत का मान बढ़ाया। सर सीवी रमन का सादर पुण्य स्मरण !
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रविवार, 27 फ़रवरी 2022

यूक्रेन ने कभी भारत का साथ नही दिया .

 1) यूक्रेन ने कश्मीर मुद्दे पर UNO में भारत के खिलाफ वोट दिया था।

2) यूक्रेन ने परमाणु परीक्षण मुद्दे पर UNO में भारत के खिलाफ वोट दिया था।
3) यूक्रेन ने UNO की सिक्योरिटी कौंसिल में भारत की स्थायी सदस्यता के खिलाफ वोट किया था।
4) यूक्रेन पाकिस्तान को हथियार सप्पलाई करता है।
5) यूक्रेन अल कायदा को समर्थन देता है।
युक्रेन से भारतीय होने के नाते मुझे कोई भी सहानुभूति नही है। और उसका कारण भी है।
युक्रेन ने भारत का कभी भी साथ नही दिया। जब हमारे उपर प्रतिबन्ध लगा तो UNO मे उसने प्रतिबन्ध के पक्ष मे वोट किया।
इसके पास यूरेनियम का भंडार था फिर भी बार बार मांगे जाने पर भी इसने कभी भी देना तो दूर हमारे तत्कालीन PM को दूरदूरा दिया। सीधे मुँह बात तक नही किया, जबकि भारत अपनी ऊर्जा के लिए यूरेनियम खोज रहा था।
अब उसका क्या होता है इसपर मेरा कोई भी मत नही है। हां उसके नागरिको के साथ सहानुभूति अवश्य है। कमज़ोर युक्रेन(जो की अपने आप बना) के साथ वही हो रहा है तो नेहरू जी के समय 1947 से पहले और उसके बाद हुआ। अर्थात विभाजन और देश के सीमा पर अतिक्रमण।
इसलिए जो लोग यूक्रेन के समर्थन में दुबले हो रहे है उनको समझना चाहिए कि यूक्रेन हमारा एक दुश्मन है जिसने कभी भारत का साथ नही दिया .

भारत और यूक्रेन

 यूक्रेन ने सुंयुक्तराष्ट्र संघ में सदैव भारत का विरोध किया है और पाकिस्तान का समर्थन किया है!किंतु फिर भी भारत की जनता और भारत सरकार यूक्रेन के प्रति सच्ची सहानुभूति रखती है ! हमें अपने विदेश मंत्री एस जयशंकर पर और भारत सरकार की विदेशनीति पर गर्व है! मोदी जी बधाई के पात्र हैं!

हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने रूस के दबंग राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन से तीन- तीन बार निवेदन किया है कि युद्ध का रास्ता छोड़कर यूक्रेन और रूस बातचीत से अपनी समस्या का निदान करें! संयुक्त राष्ट्र संघ में रूस के खिलाफ लाये गये प्रतिबंधात्मक प्रस्ताव पर भारत का तटस्थ रहकर रूस का साथ देना,एक सही फैसला है!
पंडित जवाहरलाल नेहरु और डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन द्वारा स्थापित एवं श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा पोषित भारती़य विदेश नीति पर हमें गर्व है! पहले*भारत -सेवियत मैत्री* और अब *भारत -रूस मैत्री* विश्व शांति के लिये आवश्यक शर्त है !समय की मांग है कि हमारी पूर्व स्थापित विदेश नीति का सही ज्ञान सभी भारतीय युवाओं,छात्रों,किसानों मजदूरों और नागरिकों को होना चाहिये!

अंत मति सो गति*!

 जो शख्श अपने पूर्वजों द्वारा ईमानदारी से अर्जित संपत्ति में से परिजनों के हक पर बुरी नियत रखता है,भ्रातद्रोह करता है,वह पापी है !उसको जीवन में सुख शांति नही मिलती! उसे मरणोपरांत सदगति भी नही मिलती!क्योंंकि जिसकी नियत में खोट हो,उसका यह लोक और परलोक दोंनों दुखदायी हो जाते हैं! क्योंकि *अंत मति सो गति*!

व्लादिमिर पुतिन का सबसे संक्षिप्त भाषण -

 व्लादिमिर पुतिन का अब तक का सबसे संक्षिप्त भाषण -

रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन ने अपनी रूसी संसद को सम्बोधित करते हुए कहा :-
"रूस में रूसियों की तरह रहें . कोई भी अल्पसंख्यक समुदाय जो कहीं से हो, यदि उसे रूस में रहना है , यहाँ काम करना है, आहार लेना है तो रूसी भाषा में बोलना होगा, रूस के कानूनों का सम्मान करना होगा .यदि वे शरीयत नियमों को वरीयता देना पसंद करते हैं एवं मुस्लिम जीवन शैली में जीना चाहते हैं तो उन्हें हमारा सुझाव है कि वे उन स्थानों पर जायें जहाँ यह राजकीय कानून है .
रूस को अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय की आवश्यकता नहीं है . अल्पसंख्यकों को रूस की आवश्यकता है, हम किसी तरह के विशेषाधिकार उन्हें नहीं देते, और न ही हम अपने कानूनों में ऐसे बदलाव लायेंगें जो उनकी अपेक्षावों पर खरे हों , चाहे वो *ऊंची से ऊंची आवाज में इसे 'भेदभाव' कहें .* रूसी संस्कृति की अवमानना हमें किसी भी रूप में स्वीकार नही है . हमें यदि एक राष्ट्र के रूप में जीवित रहना है तो हमें अमेरिका, इंग्लैंड, होलैंड और फ्रांस में हुये आतंकी हमलों से सीख लेने की आवश्यकता है .मुसलमान उन देशों का अधिग्रहण कर रहे हैं लेकिन वे रूस के साथ ऐसा नहीं कर पायेंगे .
रूसी रिवाजें एवं परंपरायें का मुकाबला असंस्कारी और आदिम मुस्लिम शरीयत नियमों के साथ नहीं किया जा सकता .
जब भी यह सम्माननीय वैधानिक निकाय नये नियमों के सृजन का विचार करे तो उसे रूस के राष्ट्रीय हितों को प्रथम वरीयता में रखना है, यह ध्यान में रखते हुए कि *मुस्लिम अल्पसंख्यक रूसी नही हैं .*
*रूसी संसद के राजनेताओं ने पुतिन का खड़े होकर 5 मिनटों तक अभिवादन किया .*.

शनिवार, 26 फ़रवरी 2022

नफरत,सभ्य कौम को भी हिंसक बना डालती है!

 निरंतर नफरत की मानसिकता,अच्छे भले इंसान को भी मनोरोगी बना देती है!पुतिन और लेजेंस्की इसके जीवंत प्रमाण हैं! इसी तरह भारत-पाकिस्तान,भारत चीन जैसे राष्ट्रों के बीच निरंतर नफरत,सभ्य कौम को भी हिंसक बना डालती है!

बाकी का तो क्या कहें,लेकिन यूक्रेन ने भारत के साथ जो किया था,उसे देखते हुए उसे खुद ही भारत से उम्मीद नहीं करना चाहिए।
पाकिस्तान को अत्याधुनिक हथियार बेचकर, 'अल-कायदा' को समर्थन देकर, सुरक्षा परिषद में भारत की सदस्यता के खिलाफ़ वोट देकर,भारत के खिलाफ लगे अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों के पक्ष में खड़े होकर और यूरेनियम के बड़े भंडार होने के बावजूद उसे भारत को न बेचकर या भारत के प्रधानमंत्री जी से उस मामले में बात करने से भी इनकार कर यूक्रेन ने जो किया था, वह उसे भी याद रखना चाहिए।
और, इंदिरा जी ने जब पाकिस्तान तोड़ा था तब हमारे खिलाफ युद्ध के लिये निकले अमेरिकी 'सातवें बेड़े' के जवाब में रूस द्वारा किये गये शक्ति संतुलन को हमें याद रखना चाहिए।
Anamika Tiwari, Opbhatt and 6 others

भारत की गुलामी का एक मात्र कारण अहिंसा नीति ही है..

 अतीत में कुछ बदमाश लेखक इतिहासकार सिर्फ अंग्रेजों की गुलामी को ही भारतीय गुलामी का इतिहास बताने का कुकृत्य करते रहे हैं!मुहम्मद बिन कासिम, महमूद गजनबी गौरी,बाबर,दुर्रानी,अब्दाली,मलिक काफूर, चंगेज खान,हलाकू,तैमूर लंग इत्यादि लुटेरे-हत्यारे जंगखोरों को वे विदेशी नहीं मानते।

कुछ लोगों ने प्रगतिशीलता के नाम पर इतना अंधेर मचा रखा है कि वे 'सत्य' को भी कंजरवेटिव,पोंगापंथ मानने लगे हैं,जिन्हें बर्बर कबीलों का आक्रमण देशभक्तिपूर्ण जचता है वास्तव में यह इतिहास उन्हें सपने में डराता है। बेशक कट्टर हिंदुत्ववादी लोग भी गलत धारणा लिए हुए हैं कि उनके मार्ग के गतिअवरोधक -इस्लाम,ईसाई और अन्य धर्म पंथ मजहब हैं!
किन्तु वे अपनी आत्मालोचना के लिए जरा भी तैयार नहीं हैं। वे यह नहीं जानना चाहते कि संस्कृत वांग्मय में और अन्य भाषाओँ के पौराणिक लेखन में आम जनता को केवल 'दासत्व' बोध ही सिखाया जाता रहा है।और 'मुहम्मद बिन कासिम' मारकाट मचाता हुआ -लूटपाट करता हुआ जब सिंध -गुजरात को मसलकर सोमनाथ इत्यादि मंदिर ध्वस्त कर रहा था,तब भारत में 'अहिंसा परमोधर्म:' का उद्घोष कौन कर रहा था ?
दरसल भारत की गुलामी का एक मात्र कारण अहिंसा नीति ही है! माना कि अहिंसा तो देवत्व का ,स्वर्ग प्राप्ति का साधन है ,किंतु यायावर, आक्रमणकारी हिंसक लुटेरे नही जानते थे कि अहिंसा, सत्य अस्तेय,ब्रह्मचर्य अपरिग्रह क्या है? वे सिर्फ नर संहार जानते थे और अपने खलीफा को सुप्रीम मानते थे!जबकि भारतीय सनातन सभ्यता का पालन करने वाले नर नारी अपने बचन का पालन करने के लिये प्राण भी न्यौछावर कर दिया करते थे!

*कभी साथ बैठो..*

 

*तो कहूँ कि दर्द क्या है...*
*अब यूँ दूर से पूछोगे..*
*तो ख़ैरियत ही कहेंगे...*
*2.*
*सुख मेरा काँच सा था..*
*न जाने कितनों को चुभ गया..!*
*3.*
*आईना आज फिर*
*रिश्वत लेता पकड़ा गया..*
*दिल में दर्द था और चेहरा*
*हंसता हुआ पकड़ा गया...*
*4.*
*वक्त, ऐतबार और इज्जत,*
*ऐसे परिंदे हैं..*
*जो एक बार उड़ जायें*
*तो वापस नहीं आते...*
*5.*
*दुनिया तो एक ही है,*
*फिर भी सबकी अलग है...*
*6.*
*दरख्तों से रिश्तों का*
*हुनर सीख लो मेरे दोस्त..*
*जब जड़ों में ज़ख्म लगते हैं,*
*तो टहनियाँ भी सूख जाती हैं*
*7.*
*कुछ रिश्ते हैं,*
*...इसलिये चुप हैं ।*
*कुछ चुप हैं,*
*...इसलिये रिश्ते हैं ।।*
*8*.
*मोहब्बत और मौत की*
*पसंद तो देखिए..*
*एक को दिल चाहिए,*
*और दूसरे को धड़कन...*
*9.*
*जब जब तुम्हारा हौसला*
*आसमान में जायेगा..*
*सावधान, तब तब कोई*
*पंख काटने जरूर आयेगा...*
*10.*
*हज़ार जवाबों से*
*अच्छी है ख़ामोशी साहेब..*
*ना जाने कितने सवालों की*
*आबरू तो रखती है...*

मतदाता बेहद नादान।

 नेता बड़बोले नादान , गिना रहे हैं कब्रिस्तान।

कहते हैं यूपी जितवा दो ,बना के देंगें हम श्मशान।।
जग के सबसे बड़े लोकतंत्र का मतदाता बेहद नादान।
नही मांगता नेताओं से ,रोटी कपडा और मकान।।
बेकारों की फौज बढ़ी है,लाठी खाएं मजूर किसान !
जिन्हें बताया संत महात्मा वो निकले ढोंगी शैतान!!

शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2022

राष्ट्र को प्रथम एवं आख़िरी प्राथमिकता बनाइये!!🌹

 यूक्रेन की सरहदों पर तनाव है क्या?

कुछ पता करो, यूक्रेन में चुनाव है क्या??
:-आफत इंदौरी उर्फ सूतियानंदन
इसी तरह की दो दो कौड़ी की शायरी सुनाकर अधकचरे साम्प्रदायिक शायरों ने न केवल भारतीय शोषित समाज का बल्कि अल्पसंख्यक समाज का भी अहित किया है! इन्होंने मुख्य मुद्दों से बाक़ी समाज का ध्यान हटाया है:-
आप का जाति, धर्म, समाज, घर, नौकरी, सड़क, बिजली, पानी, ज़मीन आदि तभी काम दे सकती है जब आपका राष्ट्र सुरक्षित हो. हारे हुए नागरिकों और शरणार्थियों की कोई जात नहीं होती.
राष्ट्र को प्रथम एवं आख़िरी प्राथमिकता बनाइये!!🌹

दुनिया का कोई भी देश उक्रेन की मदद करने नही आया!

 विगत 48 घंटों में ब्लादिमिर पुतिन के नेतृत्व में रूसकी सेनाने सारी दुनिया को स्तब्ध कर उक्रेन के तीन टुकड़े कर दिये हैं! रूसू सेना की कार्यवाही से उक्रेन के कई इलाके बर्बाद हो गये और सैकड़ों उक्रेनि सैनिक मारे गए हैं!

उक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्कि अमेरिका का पिटठू बन गया था,उसे बड़ा मुगालता था कि अमेरिकी और नाटो सेनाएं उक्रेन की ओर से रूसी सेनाओं का मुकाबला करने आएंगीं, किंतु अमरीकी राष्ट्रपति *जो बाइडेन*ब्रिटिस पीएम बोरिस जानसन या फ्रांसीसी राष्ट्रपति मेंक्रांन ने मुंह जुबानी जमा खर्च करने के सिवा कुछ नही किया ! दुनिया का कोई भी देश उक्रेन की मदद करने नही आया!
इस घटना से उन सबके मुगालते दूर हो गए, जो अमेरिका को दुनिया का सर्वेसर्वा- सर्व शक्तिमान या साम्राज्यवादी रहनुमा कहते थे और जो रूस को लुटा पिटा निर्बल कमजोर राष्ट्र समझते थे! दूसरे महायुद्ध के बाद की तरह दुनिया फिरसे दो धुर्वीय हो चली है,हर शख्स समझ ले कि अमेरिका अब अकेला महाशक्ति नही है! सोवियत संघ के आधा दर्जन टुकड़े हो जाने के बाद जब बचा खुचा रूस इतना शक्तिशाली है तो सोचने की बात है कि पूर्व सोवियत संघ (तब का कम्युनिस्ट) कितना शक्तिशाली रहा होगा?
वास्तव में 1917 की अक्टूबर क्रांति के बाद पूर्व सोवियत यूनियन (अब रूसी फेडरेशन) अपराजेय था,अपराजेय है और अपराजेय रहेगा! भारत के पढ़े लिखे और बुद्धिजीवी सोवियत संघ का ऐहसान मानते हैं!क्योंकि हर संकट में *सोवियत संघ* ने भारत का साथ दिया है,यही बजह है कि घोर दक्षिण पंथी अटलबिहारी वाजपेई और नरेंद्र मोदी भी रूस से मैत्री संधि जारी रखने के लिये बाध्य रहे हैं!
रूस से अलग होकर पिद्दे उक्रेन को चाहिये था कि अपने आका सोवियत संघ से अलग होने के बाद कमसे कम चेर्नोबिल एटॉमिक रियेक्टर और यूक्रेन में जो अंतरिक्ष स्टेशन कायम किये थे, उन्हें रूस के अधिकार में ही रहने देता! क्योंकि वे सोवियत संघ ने ही स्थापित किये थे! और यूक्रेन नॉटो संधि के बहाने अमेरिका को सौंपने जा रहा था!सर्व विदित है कि अमेरिका का उस क्षेत्र से कोई लेना देना नही है!
इसीलिये समझदार अमरीकी प्रसीड्ंट *जो बाइडेन* ने 'देख लेंगे' के अंदाज में रूस को धमकाया भर है! लेकिन पूर्व राष्ट्रपति पगलैट ट्रम्प इस मामले में अमेरिका की वर्तमान नीति को लेकर अपने ही देश अमेरिका का मजाक उड़ा रहा है और पुतिन की तारीफ कर रहा है! इस मानसिकता को धिक्कार है!

गुरुवार, 24 फ़रवरी 2022

भारत को रूस यूक्रेन के बीच मध्यस्थता करनी चाहिये!

कल24 Feb ko रूसी सशस्त्र बलों ने यूक्रेन पर हमला करना शुरू कर दिया है। यह अस्वीकार्य है और रूस को यूक्रेन के खिलाफ अपने सैन्य अभियानों को तुरंत रोकना चाहिए। साथ ही, दुनिया को यह समझना चाहिए कि, अमेरिकी साम्राज्यवाद इस संकट के पीछे असली अपराधी है। North Atlantic Treaty Organization (NATO) 30 देशों का सैन्य गठबंधन है। अमेरिका इस सैन्य गठबंधन का नेता है। अब अमेरिका ने यूक्रेन को NATO का सदस्य बनाने के लिए कदम उठाए हैं। रूस यूक्रेन का सीमावर्ती देश है। यदि यूक्रेन NATO का सदस्य बन जाता है, तो NATO के सैन्य अड्डे और मिसाइलें रूस के दरवाजे पर आ जाएंगी। इसलिए, रूस वास्तव में डरता है कि, यूक्रेन के NATO में शामिल होने से इसकी सुरक्षा के लिए एक बहुत बड़ा खतरा पैदा होगा। इसी आशंका ने रूस को यूक्रेन पर हमले करने के लिए मजबूर कर दिया है।  भारत सहित विश्व के राष्ट्रों को तुरंत कदम उठाना चाहिए और बातचीत के माध्यम से इस संकट को हल करना चाहिए 

रसिया और भारत यद्यपि दसकों पुराने दोस्त है,किंतु एक ताकतवर दोस्त यदि किसी कमजोर मुल्क पर दबंगई करे, तो शरीफ दोस्त (भारत) को हक है कि अपने दोस्त (रूस) की दबंगई पर नाखुशी जाहिर करे! भारत को रूस यूक्रेन के बीच मध्यस्थता करनी चाहिये! भारत को केवल अमेरिका या युरोप के लिये मैदान खुला नही छोड़ना चाहिये!वैसे भी रूस ने इस मामले में भारत को विश्वास में नही लिया !

जबकि यूक्रेन की सरकार और वहाँ के राजदूत ने भारत से हाथ जोड़कर मदद की गुहार लगाई है! मोदीजी की छवि यदि बाकई वर्ल्ड लीडर की है,तो उन्हें यह साबित करने का यह मौका चूकना नही चाहिये ! उन्हें रूस यूक्रेन के बीच मध्यस्थता करनी चाहिये !और शिद्दत से हस्तक्षेप करना चाहिये!
इसलिये वक्त का पहिया करे पुकार !
यूक्रेन की गुहार सुने मोदी सरकारा!!
श्रीरामचरितमानस में लिखा है :-
*आये सरन तजहुँ नही काहू*
यदि सच्चे रामभक्त हो तो राम का आदर्श निर्वहन करके दिखाओ! तभीआप सच्चे अर्थों में हिंदुत्ववादी कहे जा सकेंगे!